- पुस्तक सूची 180816
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1643
औषधि540 आंदोलन257 नॉवेल / उपन्यास3422 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी9
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1328
- दोहा61
- महा-काव्य92
- व्याख्या149
- गीत85
- ग़ज़ल745
- हाइकु11
- हम्द31
- हास्य-व्यंग38
- संकलन1384
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात630
- माहिया16
- काव्य संग्रह3986
- मर्सिया328
- मसनवी678
- मुसद्दस44
- नात423
- नज़्म1001
- अन्य42
- पहेली14
- क़सीदा140
- क़व्वाली9
- क़ित'अ51
- रुबाई255
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती17
- शेष-रचनाएं27
- सलाम28
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई19
- अनुवाद80
- वासोख़्त24
क़ुर्रतुलऐन हैदर की कहानियाँ
नज़्जारा दर्मियाँ है
ताराबाई की आँखें तारों की ऐसी रौशन हैं और वो गर्द-ओ-पेश की हर चीज़ को हैरत से तकती है। दर असल ताराबाई के चेहरे पर आँखें ही आँखें हैं । वो क़हत की सूखी मारी लड़की है। जिसे बेगम अल्मास ख़ुरशीद आलम के हाँ काम करते हुए सिर्फ़ चंद माह हुए हैं, और वो अपनी मालकिन
आवारा-गर्द
दुनिया की सैर पर निकले एक यूरोपीय जर्मन लड़के की कहानी। वह पाकिस्तान से भारत आता है और बंबई में एक सिफ़ारिशी मेज़बान का मेहमान बनता है। बंबई में वह कई दिन रुकता है, लेकिन सारा सफ़र पैदल ही तय करता है। रात को खाने की मेज़ पर अपनी मेज़बान से वह यूरोप, जर्मन, द्वितीय विश्व युद्ध, नाज़ी और अपने अतीत के बारे में बात करता है। भारत से वह श्रीलंका जाता है जहाँ सफ़र में एक सिंघली बौद्ध उसका दोस्त बन जाता है। वह दोस्त उसे नदी में नहाने की दावत देता है और खु़द डूबकर मर जाता है। लंका से होता हुआ है वह सैलानी लड़का वियतनाम जाता है। वियतनाम में जंग जारी है और जंग की एक गोली उस नौजवान यूरोपीय आवारागर्द को भी लील जाती है।
पतझड़ की आवाज़
यह कहानी की मरकज़ी किरदार तनवीर फ़ातिमा की ज़िंदगी के तजुर्बात और ज़ेहनियत की अक्कासी करती है। तनवीर एक अच्छे परिवार की सुशिक्षित लड़की है लेकिन ज़िंदगी जीने का फ़न उसे नहीं आता। उसकी ज़िंदगी में एक के बाद एक तीन मर्द आते हैं। पहला मर्द खु़श-वक़्त सिंह है जो ख़ुद से तनवीर फ़ातिमा की ज़िंदगी में दाख़िल होता है। दूसरा मर्द फ़ारूक़, पहले खु़श-वक़्त सिंह के दोस्त की हैसियत से उससे परिचित होता है और फिर वही उसका सब कुछ बन जाता है। इसी तरह तीसरा मर्द वक़ार हुसैन है जो फ़ारूक़ का दोस्त बनकर आता है और तनवीर फ़ातिमा को दाम्पत्य जीवन की ज़ंजीरों में जकड़ लेता है। तनवीर फ़ातिमा पूरी कहानी में सिर्फ़ एक बार ही अपने भविष्य के बारे में कोई फ़ैसला करती है, खु़श-वक़्त सिंह से शादी न करने का। और यही फ़ैसला उसकी ज़िंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होता है क्योंकि वह अपनी ज़िंदगी में आए उस पहले मर्द खु़श-वक़्त सिंह को कभी भूल नहीं पाती।
ये ग़ाज़ी ये तेरे पुर-अस्रार बन्दे
यह कहानी पश्चिमी जर्मनी में जा रही एक ट्रेन से शुरू होती है। ट्रेन में पाँच लोग सफ़र कर रहे हैं। उनमें एक ब्रिटिश प्रोफे़सर है और उसके साथ उसकी बेटी है। साथ में एक कनाडाई लड़की और एक ईरानी प्रोफेसर हैं। शुरू में सब ख़ामोश बैठे रहते हैं। फिर धीरे-धीरे आपस में बातचीत करने लगता है। बातचीत के दौरान ही कनाडाई लड़की ईरानी प्रोफे़सर को पसंद करने लगती है। ट्रेन का सफ़र ख़त्म होने के बाद भी वे मिलते रहते हैं और अपने ख़ानदानी शजरों की उधेड़-बुन में लगे रहते हैं। उसी उधेड़-बुन में वे एक-दूसरे के क़रीब आते हैं और एक ऐसे रिश्ते में बंध जाते हैं जिसे कोई नाम नहीं दिया जाता। चारों तरफ जंग का माहौल है। ईरान में आंदोलन हो रहे हैं। इसी बीच एक दिन एयरपोर्ट पर धमाका होता है। उस बम-धमाके में ईरानी प्रोफे़सर और उसके साथी मारे जाते हैं। उस हादसे का कनाडाई लड़की पर जो असर पड़ता है वही इस कहानी का निष्कर्ष है।
पाली हिल की एक रात
ड्रामे के शक्ल में लिखी गई एक ऐसी कहानी है जिसके सभी किरदार फ़र्ज़ी हैं। परिवार जब इबादत की तैयारी कर रहा था तभी बारिश में भीगता हुआ एक विदेशी जोड़ा दरवाज़ा खटखटाता है और अंदर चला आता है। बातचीत के दौरान पता चलता है कि उनका ताल्लुक ईरान से है। इसके बाद घटनाओं का एक ऐसा सिलसिला शुरू होता है जो सबकुछ बदल कर रख देता है।
रौशनी की रफ़्तार
‘रोशनी की रफ्तार’ कहानी कुर्तुल ऐन हैदर की बेपनाह रचनात्मक सलाहियतों के नये आयामों को प्रदर्शित करती है। इस कहानी में वर्तमान से अतीत की यात्रा की गयी है। सैकड़ों वर्षों के फासलों को लाँघ कर कभी अतीत को वर्तमान काल में लाकर और कभी वर्तमान को अतीत के अंदर, बहुत अंदर ले जाकर मानव-जीवन के रहस्यों को देखने, समझने और उसकी सीमाओं तथा संभावनाओं का जायज़ा लेने का प्रयत्न किया गया है।
सितारों से आगे
कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े एक छात्र समूह की कहानी, जो रात के अँधेरे में एक गाँव के लिए सफ़र कर रहा होता है। सभी साथी एक बैलगाड़ी में बैठे हैं और समूह का एक साथी महिया गा रहा है और दूसरे लोग उसे सुन रहे हैं। बीच-बीच में कोई टोक देता है और कोई उसका जवाब देने लगता है। मगर दिए जाने वाले ये जवाब, महज़ जवाब नहीं हैं बल्कि उनके एहसासात भी उसमें शामिल हैं।
फ़ोटोग्राफ़र
उत्तर-पूर्व के एक शांत क़स्बे में स्थित एक डाक-बंगले के फ़ोटोग्राफ़र की कहानी। फ़ोटोग्राफ़र ज़्यादा टूरिस्टों के न होने के बाद भी अपने क़स्बे में जमा रहता है। डाक-बंगले में इक्का-दुक्का टूरिस्ट आते हैं जिनसे काम के लिए उसने डाक-बंगले के माली से समझौता कर लिया है। उन्हीं टूरिस्टों में एक शाम एक नौजवान और एक लड़की डाक-बंगले में आते हैं। नौजवान मशहूर संगीतकार है और लड़की मशहूर-तरीन नृत्यांगना। दोनों खुश हैं और अगले दिन बाहर घूमने जाते वक़्त वे फ़ोटोग्राफ़र से फोटो भी खिंचवाते हैं, लेकिन लड़की उसे ले जाना भूल जाती है। पंद्रह साल बाद इत्तेफ़ाक़ से वह फिर उसी डाक-बंगले में आती है और फ़ोटोग्राफ़र को वहीं पाकर हैरान होती है। फ़ोटोग्राफ़र भी उसे पहचान लेता है और उसके साथी के बारे में पूछता है। साथी, जो ज़िंदगी की भीड़ में कहीं खो गया और उसे खोए हुए भी मुद्दत हो गई है...
सुना है आलम-ए-बाला में कोई कीमिया-गर था
एक ऐसी शख्स की कहानी जो मोहब्बत तो करता है मगर उसका इज़हार करने की कभी हिम्मत नहीं कर पाता। पड़ोसी होने के बावजूद वह परिवार में एक फ़र्द की तरह रह रहा था और जहाँ-जहाँ वालिद साहब की पोस्टिंग होती रही मिलने आता रहा। ख़ानदान वाले सोचते रहे कि वह उनकी छोटी बेटी से मोहब्बत करता है। मगर वे तो उनकी बड़ी बेटी से मोहब्बत करता है। उसकी ख़्वाहिश थी कि काश, वह उसे एक बार ‘डार्लिंग’ कह सके।
जिला-वतन
यह साझा संस्कृति की त्रासदी की कहानी है। उस साझा संस्कृति की जिसे इस महाद्वीप में रहने-बसने वालों के सदियों के मेलजोल और एकता का प्रसाद माना जाता है। इस कहानी में रिश्तों के टूटने, खानदानों के बिखरने और अतीत के उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों के चूर-चूर हो जाने की त्रासदी प्रस्तुत की गई है।
मोना लिसा
इस कहानी में घटनाओं को कम और ज़ेहनी और दिली एहसासात को ज़्यादा बयान किया गया है। उन एहसासात में मिलन है, प्यार है और जुदाई है। समय-समय पर कई किरदार उभरते और धुँधले पड़ते है। हर किसी की अपनी कहानी है। मगर जो कहानी कहता है उसकी खुद की कहानी कहीं धुँधली पड़ जाती है।
परवाज़ के बाद
यह दिली एहसासात और ख़्वाहिशात को बयान करती हुई कहानी है। इसमें घटनाएं कम और वाक़िआत ज़्यादा हैं। दो लड़कियाँ जो साथ में पढ़ती हैं उनमें से एक को एक शख़्स से मोहब्बत हो जाती है। मगर वह शख्स उसे मिलकर भी मिल नहीं पाता और बिछड़ने के बाद भी जुदा नहीं होता। कहा जाए तो यह मिलन और जुदाई के दरमियान की कहानी है, जिसे एक बार जरूर पढ़ा जाना चाहिए।
अवध की शाम
कहानी में अवध यानी लखनऊ की एक शाम का ज़िक्र किया गया है, जिसमें एक अंग्रेज़ लड़का एक हिंदुस्तानी लड़की को साथ नाचने की दावत देता है। वह उसके साथ नाचती है और आज़ादी की तहरीक, अवध की सल्तनत और उसके रीति-रिवाजों और रौनक़ की दास्तान बयान करती जाती है।
क़लंदर
ग़ाज़ीपूर के गर्वमैंट हाई स्कूल की फ़ुटबाल टीम एक दूसरे स्कूल से मैच खेलने गई थी। वहाँ खेल से पहले लड़कों में किसी छोटी सी बात पर झगड़ा हुआ और मारपीट शुरू’ हो गई। और चूँकि खेल के किसी प्वाईंट पर झगड़ा शुरू’ हुआ था, तमाशाइयों और स्टाफ़ ने भी दिलचस्पी ली। जिन
कारमन
अमीर ख़ानदान के एक नौजवान द्वारा एक ग़रीब लड़की के शोषण की एक रिवायती कहानी है, जो लड़की के निःस्वार्थ प्रेम की त्रासदी है। लेकिन इस कहानी में बेहद सादगी, दिलकशी और आकर्षण है। आख़िर में पाठक तो कहानी के अंजाम से परिचित हो जाता है, लेकिन कारमन नहीं हो पाती है। सच कहा जाए तो इसी में उसकी भलाई भी है।
बर्फ़बारी से पहले
यह एक मोहब्बत के नाकाम हो जाने की कहानी है, जो बँटवारे के पहले के मसूरी में शुरू हुई थी। अपने दोस्तों के साथ घूमते हुए जब उसने उसे देखा था तो देखते ही उसे यह एहसास हुआ था कि यही वह लड़की है जिसकी उसे तलाश थी। मगर यह मोहब्बत शुरू होती उससे पहले अपने अंजाम को पहुँच गई और फिर विभाजन हो गया, जिसने कई ख़ानदानों को बिखेर दिया और एक बसे-बसाए शहर का पूरा नक्शा ही बदल गया।
डालन वाला
यह कहानी बचपन की यादों के सहारे अपने घर और घर के वसीले से एक पूरे इलाक़े की, और उस इलाक़े द्वारा विभिन्न व्यक्तियों के जीवन की चलती-फिरती तस्वीरें पेश करती है। समाज के अलग-अलग वर्गों से सम्बंध रखने वाले, पृथक आस्थाएं और विश्वास रखने वाले, विभन्न लोग हैं जो अपनी-अपनी समस्याओं और मर्यादाओं में बंधे हैं।
मलफ़ूज़ात-ए-हाजी गुल बाबा बेक्ताशी
यह एक प्रयोगात्मक कहानी है। इसमें सेंट्रल एशिया की परम्पराओं, रीति-रिवाजों और धार्मिक विचारों को केंद्र बिंदू बनाया गया है। यह कहानी एक ही वक़्त में वर्तमान से अतीत और अतीत से वर्तमान में चलती है। यह उस्मानिया हुकूमत के दौर की कई अनजानी घटनाओं का ज़िक्र करती है, जिनमें मुर्शिद हैं और उनके मुरीद है। फ़क़ीर हैं और उनका खु़दा और रसूल से रुहानी रिश्ता है। मुख्य किरदार एक ऐसे ही बाबा से मिलती है। वह उनके पास एक औरत का ख़त लेकर जाती, जिसका शौहर खो गया है और वह उसकी तलाश में दर-दर भटक रही है। वह बाबा की उस रुहानी दुनिया के कई अनछुए पहलुओं से वाक़िफ़ होती हैं जिन्हें आम इंसानी आसानी से नज़र-अंदाज़ करके निकल जाता है।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1643
-