Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Meer Taqi Meer's Photo'

मीर तक़ी मीर

1723 - 1810 | दिल्ली, भारत

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है

मीर तक़ी मीर के ऑडियो

ग़ज़ल

इश्क़ में ने ख़ौफ़-ओ-ख़तर चाहिए

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

कुछ मौज-ए-हवा पेचाँ ऐ 'मीर' नज़र आई

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

क्या हक़ीक़त कहूँ कि क्या है इश्क़

फ़हद हुसैन

जब जुनूँ से हमें तवस्सुल था

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

बातें हमारी याद रहें फिर बातें ऐसी न सुनिएगा

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

मैं कौन हूँ ऐ हम-नफ़साँ सोख़्ता-जाँ हूँ

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

'मीर' दरिया है सुने शेर ज़बानी उस की

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

रफ़्तगाँ में जहाँ के हम भी हैं

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

शहर से यार सवार हुआ जो सवाद में ख़ूब ग़ुबार है आज

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

सहर-ए-गह-ए-ईद में दौर-ए-सुबू था

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

हस्ती अपनी हबाब की सी है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

आ जाएँ हम नज़र जो कोई दम बहुत है याँ

अहमद महफ़ूज़

उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया

अहमद महफ़ूज़

कुछ मौज-ए-हवा पेचाँ ऐ 'मीर' नज़र आई

अहमद महफ़ूज़

जिस सर को ग़ुरूर आज है याँ ताज-वरी का

अहमद महफ़ूज़

जीते-जी कूचा-ए-दिलदार से जाया न गया

अहमद महफ़ूज़

जो इस शोर से 'मीर' रोता रहेगा

अहमद महफ़ूज़

तेरा रुख़-ए-मुख़त्तत क़ुरआन है हमारा

अहमद महफ़ूज़

था मुस्तआर हुस्न से उस के जो नूर था

अहमद महफ़ूज़

देख तो दिल कि जाँ से उठता है

नोमान शौक़

ब-रंग-ए-बू-ए-गुल उस बाग़ के हम आश्ना होते

अहमद महफ़ूज़

बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो

अहमद महफ़ूज़

मुँह तका ही करे है जिस तिस का

अहमद महफ़ूज़

हम आप ही को अपना मक़्सूद जानते हैं

अहमद महफ़ूज़

हमारे आगे तिरा जब किसू ने नाम लिया

अहमद महफ़ूज़

हस्ती अपनी हबाब की सी है

अहमद महफ़ूज़

ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा

फ़सीह अकमल

मीरियात

अपने होते तू बा-इताब रहा

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

इन बलाओं से कब रिहाई है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

ऐ मुझ से तुझ को सौ मिले तुझ सा न पाया एक मैं

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

कुछ मौज-ए-हवा पेचाँ ऐ 'मीर' नज़र आई

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

क्या इश्क़-ए-ख़ाना-सोज़ के दिल में छुपी है आग

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

क्या काम किया हम ने दिल यूँ न लगाना था

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

क्या झमका फ़ानूस में अपना दिखलाती है दूर से शम्अ'

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

कल दिल-आज़ुर्दा गुलिस्ताँ से गुज़र हम ने किया

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

कल ले गए थे यार हमें भी चमन के बीच

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

किस को दिल सा मकान देते हैं

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

चलते हो तो चमन को चलिए कहते हैं कि बहाराँ है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

जम्अ'-अफ़गनी से उन ने तरकश किए हैं ख़ाली

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

दिल को कहीं लगने दो मेरे क्या क्या रंग दिखाऊँगा

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

'मीर'-ए-गुम-कर्दा_चमन ज़मज़मा-पर्दाज़ है एक

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

शहर से यार सवार हुआ जो सवाद में ख़ूब ग़ुबार है आज

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

शायद हम से ज़िद रखते हो आते नहीं टुक ईधर तुम

शम्सुर रहमान फ़ारूक़ी

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए