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पंडित जवाहर नाथ साक़ी

1864 - 1916 | दिल्ली, भारत

पंडित जवाहर नाथ साक़ी के शेर

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फ़लक पे चाँद सितारे निकलते हैं हर शब

सितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद

हम को भरम ने बहर-ए-तवहहुम बना दिया

दरिया समझ के कूद पड़े हम सराब में

वो माह जल्वा दिखा कर हमें हुआ रू-पोश

ये आरज़ू है कि निकले कहीं दोबारा चाँद

क़ालिब को अपने छोड़ के मक़्लूब हो गए

क्या और कोई क़ल्ब है इस इंक़लाब में

नहीं खुलता सबब तबस्सुम का

आज क्या कोई बोसा देंगे आप

जान-ओ-दिल था नज़्र तेरी कर चुका

तेरे आशिक़ की यही औक़ात है

सिक्का अपना नहीं जमता है तुम्हारे दिल पर

नक़्श अग़्यार के किस तौर से जम जाते हैं

दिल भी अब पहलू-तही करने लगा

हो गया तुम सा तुम्हारी याद में

जज़्बा-ए-इश्क़ चाहिए सूफ़ी

जो है अफ़्सुर्दा अहल-ए-हाल नहीं

ये रिसाला इश्क़ का है अदक़ तिरे ग़ौर करने का है सबक़

कभी देख इस को वरक़ वरक़ मिरा सीना ग़म की किताब है

बुराई भलाई की सूरत हुई

मोहब्बत में सब कुछ रवा हो गया

महव-ए-लिक़ा जो हैं मलकूती-ख़िसाल हैं

बेदार हो के भी नज़र आते हैं ख़्वाब में

ये रूपोशी नहीं है सूरत-ए-मर्दुम-शनासी है

हर इक ना-अहल तेरा तालिब-ए-दीदार बन जाता

छू ले सबा जो के मिरे गुल-बदन के पाँव

क़ाएम हों चमन में नसीम-ए-चमन के पाँव

जम गए राह में हम नक़्श-ए-क़दम की सूरत

नक़्श-ए-पा राह दिखाते हैं कि वो आते हैं

सालिक है गरचे सैर-ए-मक़ामात-ए-दिल-फ़रेब

जो रुक गए यहाँ वो मक़ाम-ए-ख़तर में हैं

नफ़्स-ए-मतलब ही मिरा फ़ौत हुआ जाता है

जान-ए-जानाँ ये मुनासिब नहीं घबरा देना

किया है चश्म-ए-मुरव्वत ने आज माइल-ए-मेहर

मैं उन की बज़्म से कल आबदीदा आया था

मेरी क़िस्मत की कजी का अक्स है

ये जो बरहम गेसू-ए-पुर-ख़म रहा

अपने जुनूँ-कदे से निकलता ही अब नहीं

साक़ी जो मय-फ़रोश सर-ए-रहगुज़ार था

वुसअ'त-ए-मशरब-ए-रिंदाँ का नहीं है महरम

ज़ाहिद-ए-सादा हमें बे-सर-ओ-सामाँ समझा

नैरंग-ए-इश्क़ आज तो हो जाए कुछ मदद

पुर-फ़न को हम करें मुतहय्यर किसी तरह

निगह-ए-नाज़ से इस चुस्त क़बा ने देखा

शौक़ बेताब गुल-ए-चाक-ए-गरेबाँ समझा

ये ज़मज़मा तुयूर-ए-ख़ुश-आहंग का नहीं

है नग़्मा-संज बुलबुल-ए-रंगीं-नवा-ए-क़ल्ब

हुआ क़ुर्ब-ए-तअ'ल्लुक़ का इख़तिसास यहाँ

ये रू-शनास ज़ि-राह-ए-बईदा आया था

उश्शाक़ जो तसव्वुर-ए-बर्ज़ख़ के हो गए

आती है दम-ब-दम ये उन्हीं को सदा-ए-क़ल्ब

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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