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तालीफ़ हैदर

1987 | दिल्ली, भारत

तालीफ़ हैदर

ग़ज़ल 14

अशआर 13

सफ़र ही बस कार-ए-ज़िंदगी है

अज़ाब क्या है सवाब क्या है

वो एक लम्हा जिसे तुम ने मुख़्तसर जाना

हम ऐसे लम्हे में इक दास्ताँ बनाते हैं

ये शहर अपनी इसी हाव-हू से ज़िंदा है

तुम्हारी और मिरी गुफ़्तुगू से ज़िंदा है

इंकार भी करने का बहाना नहीं मिलता

इक़रार भी करने का मज़ा देख रहे हैं

ख़ुदा वजूद में है आदमी के होने से

और आदमी का तसलसुल ख़ुदा से क़ाएम है

पुस्तकें 6

 

वीडियो 9

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Thahra nahin hunar mera ek manzil e kamaal par

Taleef Haider: Young Taleef who is the son of noted poet Fasih Akmal, was born on 1st Sep 1987 at Vasai, Maharashtra. He is currently associated with Delhi Doordarshan. Taleef Haider reciting his ghazal at Rekhta Studio. तालीफ़ हैदर

तालीफ़ हैदर

Taleef Haidar is a young poet from Delhi. He is reading his ghazals at Rekhta Studio. तालीफ़ हैदर

आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे

तालीफ़ हैदर

तमाम शहर ही तेरी अदा से क़ाएम है

तालीफ़ हैदर

दर्द-आमेज़ है कुछ यूँ मिरी ख़ामोशी भी

तालीफ़ हैदर

नई ज़मीनों को अर्ज़-ए-गुमाँ बनाते हैं

तालीफ़ हैदर

बस एक शय मिरे अंदर तमाम होती हुई

तालीफ़ हैदर

यूँ भी तो तिरी राह की दीवार नहीं हैं

तालीफ़ हैदर

सवाल क्या है जवाब क्या है

तालीफ़ हैदर

ऑडियो 12

आहिस्ता-रवी शहर को काहिल न बना दे

तमाम शहर ही तेरी अदा से क़ाएम है

दर्द-आमेज़ है कुछ यूँ मिरी ख़ामोशी भी

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