तख़्त-ए-जमशेद / औरंग ए जम
जमशेद हज़रत ईसा से लगभग आठ सौ वर्ष पूर्व पेशदादयान राजवंश का चौथा सम्राट, प्राचीन ईरान का बादशाह और तहमूरस का पुत्र था। इसके कार्य-काल को प्राचीन ईरान का स्वर्ण युग कहा जाता है। जमशेद ने अपने वैज्ञानिकों की मदद से एक ऐसा प्याला बनाया था जिस में वो संसार के विभिन्न भागों को देख सकता था। इस के अलावा उस ने एक तख़्त भी बनवाया था जिसमें अनमोल जवाहरात और मोती जड़े थे। वो तख़्त को हवा में उड़ाता था। फ़िरदौसी के महाकाव्य ‘शाहनामा’ के अनुसार उस तख़्त को देव और जिन अपने कंधों पर ले कर चलते थे। उस तख़्त और हज़रत सुलैमान के तख़्त में कई तरह की समानता थी। जमशेद के तख़्त को विभिन्न नामों से पुकारा गया है। उदाहरण के तौर पर औरंग-ए-जम, तख़्त-ए-जम, कुर्सी-ए-जम, मुरक्कब-ए-जम, मसनद-ए-जम आदि।
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