aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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सादिक़-उल-क़ादरी

1926 - 1957 | कोलकाता, भारत

सादिक़-उल-क़ादरी

अशआर 2

कुछ इस तरह शरीक तिरी अंजुमन में हूँ

महसूस हो रही है ख़ुद अपनी कमी मुझे

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पूछ कैसे गुज़रती है ज़िंदगी दोस्त

बड़ी तवील कहानी है फिर कभी दोस्त

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