aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

CANCEL DOWNLOAD SHER

Best Humorous Urdu Quotes

The humorous literature

written in Urdu is extraordinarily distinct. To show you a glimpse of this, we bring to you selected quotes and excerpts from the funniest writings ever written in Urdu. Read them out and laugh out loud, simple.

9.7K
Favorite

SORT BY

लाहौर की बाअ्ज़ गलियाँ इतनी तंग हैं कि अगर एक तरफ़ से औरत रही हो और दूसरी तरफ़ से मर्द तो दरमियान में सिर्फ़ निकाह की गुंजाइश बचती है।

Mushtaq Ahmad Yusufi

Mard Ki Aankh Aur Aurat Ki Zabaan Ka Dam Sabse Aakhir Mein Nikalta Hai.

Mard Ki Aankh Aur Aurat Ki Zabaan Ka Dam Sabse Aakhir Mein Nikalta Hai.

Mushtaq Ahmad Yusufi

मूंगफली और आवारगी में ख़राबी यह है कि आदमी एक दफ़ा शुरू कर दे तो समझ में नहीं आता, ख़त्म कैसे करे।

Mushtaq Ahmad Yusufi

मुसलमान हमेशा एक अमली क़ौम रहे हैं। वो किसी ऐसे जानवर को मुहब्बत से नहीं पालते जिसे ज़िब्ह कर के खा ना सकें।

Mushtaq Ahmad Yusufi

मर्द इश्क़-ओ-आशिक़ी सिर्फ़ एक मर्तबा करता है, दूसरी मर्तबा अय्याशी और उसके बाद निरी अय्याशी।

Mushtaq Ahmad Yusufi

जो मुल़्क जितना ग़ुर्बत-ज़दा होगा उतना ही आलू और मज़हब का चलन ज़्यादा होगा।

Mushtaq Ahmad Yusufi

Gaali, Ginti, Sargoshi, Aur Ganda Lateefa To Sirf Apne Maadri Zabaan Mein Hi Maza Deta Hai.

Gaali, Ginti, Sargoshi, Aur Ganda Lateefa To Sirf Apne Maadri Zabaan Mein Hi Maza Deta Hai.

Mushtaq Ahmad Yusufi

दुश्मनों के हस्ब-ए-अदावत तीन दर्जे हैं, दुश्मन दुश्मन-ए-जानी, और रिश्तेदार।

Mushtaq Ahmad Yusufi

किताबों की दुनिया मुर्दों और ज़िंदों दोनों के बीच की दुनिया है।

Firaq Gorakhpuri

अंग्रेज़ी फिल्मों में लोग यूँ प्यार करते हैं जैसे तुख़्मी आम चूस रहे हैं।

Mushtaq Ahmad Yusufi

जितना वक़्त और रुपया बच्चों को “मुस्लमानों के साईंस पर एहसानात” रटाने में सर्फ़ किया जाता है, दसवाँ हिस्सा ‏भी बच्चों को साईंस पढ़ाने में सर्फ़ किया जाए तो मुसलमानों पर बड़ा एहसान होगा।

Mushtaq Ahmad Yusufi

सच ये है कि काहिली में जो मज़ा है वो काहिल ही जानते हैं। भाग दौड़ करने वाले और सुबह-सुबह उठने वाले और वरज़िश-‏पसंद इस मज़े को क्या जानें।

Ibn e Insha

कभी-कभी कोई इंतिहाई घटिया आदमी आपको इंतिहाई बढ़िया मश्वरा दे जाता है। मगर आह! कि आप मश्वरे की तरफ़ कम देखते हैं, घटिया आदमी की तरफ़ ज़्यादा।

Fikr Taunsvi

बढ़िया सिगरेट पीते ही हर शख़्स को मुआ'फ़ कर देने को जी चाहता है... ख़्वाह वो रिश्तेदार ही क्यों हो।

Mushtaq Ahmad Yusufi

एक ख़ातून ने होने वाले ख़ाविंद से कहा, “शादी के बा'द मैं आपके दुख बाँटा करूँगी। उसने कहा, “मगर मुझे‏ तो कोई दुख नहीं।” तो वो बोली, “मैं शादी के बा'द की बात कर रही हूँ।” शायद इसीलिए हर सियासत-दाँ यही ‏कहता है अगर मैं जीत गया तो आपके दुख बाँटूँगा।

Mohammad Yunus Butt

कहते हैं सिगरेट के दूसरे सिरे पर जो राख होती है दर-अस्ल वो पीने वाले की होती है।

Mohammad Yunus Butt

‏सच तो ये है कि हुकूमतों के अ'लावा कोई भी अपनी मौजूदा तरक़्क़ी से मुत्मइन नहीं होता।

Mushtaq Ahmad Yusufi

औरतों की आधी उ'म्र तो अपनी उ'म्र कम करने में गुज़र जाती है। एक मुलाज़िमत के इंटरव्यू के दौरान इंटरव्यू लेने वाले ने ‏पूछा, “मोहतरमा आपकी उ'म्र?” जवाब मिला, “19 साल कुछ महीने” पूछा, “कितने महीने?” जवाब मिला। “छियानवे‏ महीने!”‏

Mohammad Yunus Butt

चार आदमियों की सोहबत अदीब के तख़्लीक़ी काम में खंडत डालती है। लड़ाका बीवी, बातूनी इंटेलेक्चुअल, लायक़ मुअल्लिम और अदब की सरपरस्ती करने वाला अफ़सर।

Intizar Hussain

औसत का मतलब भी लोग ग़लत समझते हैं। हम भी ग़लत समझते थे। जापान में सुना था कि हर दूसरे आदमी ‏के पास कार है। हमने टोकियो में पहले आदमी की बहुत तलाश की लेकिन हमेशा दूसरा ही आदमी मिला। मा'लूम हुआ पहले ‏आदमी दूर-दराज़ के देहात में रहते हैं।

Ibn e Insha

गधे और इंसान में ये फ़र्क़ है कि गधा सिगरेट नहीं पीता और झूट नहीं बोल सकता।

Mohammad Yunus Butt

हर माक़ूल आदमी का बीवी से झगड़ा होता है क्योंकि मर्द औरत का रिश्ता ही झगड़े का है।‏

Rajinder Singh Bedi

सिगरेट है क्या? काग़ज़ की एक नली जिसके एक सिरे पर शोला और दूसरे पर एक नादान होता है। कहते हैं सिगरेट ‏के दूसरे सिरे पर जो राख होती है दर-अस्ल वो पीने वाले की होती है। ऐश ट्रे वो जगह है जहाँ आप ये राख ‏उस वक़्त डालते हैं जब आपके पास फ़र्श हो। वैसे तो सिगरेट पीने वाले के लिए पूरी दुनिया ऐश ट्रे ही होती है ‏बल्कि होते-होते ये हाल हो जाता है कि वो सिगरेट मुँह में रखकर समझता है ऐश ट्रे में रखा है। रुडयार्ड‏ किपलिंग कहता है कि एक औ'रत सिर्फ़ एक औ'रत होती है जबकि अच्छा सिगार बस धुआँ होता है। दुनिया का सबसे ‏महंगा सिगरेट आपका पहला सिगरेट होता है, बा'द में सब सस्ता हो जाता है यहाँ तक कि पीने वाला भी।

Mohammad Yunus Butt

किसी दाना या नादान का मक़ूला है कि झूट के तीन दर्जे हैं। झूट, सफ़ेद झूट और आ'दाद-ओ-शुमार।

Ibn e Insha

कुँवारी लड़की उस वक़्त तक अपना बर्थ-डे मनाती रहती है, जब तक वह हनीमून मनाने के काबिल नहीं हो जाती।

Fikr Taunsvi

दर-अस्ल शादी एक लफ़्ज़ नहीं पूरा फ़िक़्रा है।

Shafiqur Rahman

जितनी देर आप दूसरों से इंतिज़ार कराते हैं, दर-अस्ल उतनी देर आप उनसे अपना ज़िक्र करवाते हैं।

Mohammad Yunus Butt

मर्द की उ'म्र वो होती है जो वो महसूस करता है और औ'रत की वो जो आप महसूस करते हैं।

Mohammad Yunus Butt

दुनिया में ये बहस हमेशा से चली रही है कि अंडा पहले या मुर्ग़ी। कुछ लोग कहते हैं अंडा। कुछ का कहना है मुर्ग़ी।‏ एक को हम मुर्ग़ी स्कूल या फ़िर्क़ा-ए-मुर्गिया कह सकते हैं। दूसरे को अंडा स्कूल। हमें अंडा स्कूल से मुंसलिक‏ समझना चाहिए। मिल्लत-ए-बैज़ा का एक फ़र्द जानना चाहिए। हमारा अ'क़ीदा इस बात में है कि अगर आदमी थानेदार या मौलवी‏ या'नी फ़क़ीह-ए-शहर हो तो उसके लिए मुर्ग़ी पहले और ऐसा ग़रीब-ए-शहर हो तो उसके लिए अंडा पहले और ग़रीब-ए-शहर से भी गया ‏गुज़रा हो तो उसकी दस्तरस मुर्ग़ी तक हो सकती है अंडा उसकी गिरफ़्त में सकता है। उसे अपनी ज़ात और इसकी‏ बक़ा को इन चीज़ों से पहले जानना चाहिए।

Ibn e Insha

अगर ये बात ठीक है कि मेहमान का दर्जा भगवान का है तो मैं बड़ी नम्रता से आपके सामने हाथ जोड़ कर कहूँगा कि ‎मुझे ‎‏भगवान से भी नफ़रत है।‏

Rajinder Singh Bedi

ख़ुदा ने गुनाह को पहले पैदा नहीं किया। इंसान को पहले पैदा कर दिया। यह सोच कर कि अब ये ख़ुद-ब-ख़ुद गुनाह पैदा करेगा।

Fikr Taunsvi

आदमी अगर क़ब्ल-अज़-वक़्त मर सके तो बीमे का मक़सद ही फ़ौत हो जाता है।

Mushtaq Ahmad Yusufi

औरत का हुस्न सिर्फ उस वक़्त तक बर-क़रार रहता है, जब तक उसके सना-ख़्वाँ मौजूद हो।

Fikr Taunsvi

लेक्चरार की ता'रीफ़ ये है कि वो शख़्स जो दूसरों की नींद में बोलता है।‏

Mohammad Yunus Butt

अस्ल में हमारे यहाँ मौलवियों और अदीबों का ज़हनी इर्तिक़ा (बौद्धिक विकास) एक ही ख़ुतूत पर हुआ है।

Intizar Hussain

ये मर्द ऐवरेस्ट पर चढ़ जाएँ, समंदर की तह तक पहुँच जाएँ, ख़्वाह कैसा ही ना-मुमकिन काम क्यों कर लें, मगर‏ औ'रत को कभी नहीं समझ सकते। बाज़-औक़ात ऐसी अहमक़ाना हरकत कर बैठते हैं कि अच्छी भली मोहब्बत नफ़रत‏ में तबदील हो जाती है, और फिर औ'रत का दिल... एक ठेस लगी और बस गया। जानते हैं कि हसद और रश्क तो औ'रत ‏की सरिशत में है। अपनी तरफ़ से बड़े चालाक बनते हैं मगर मर्द के दिल को औ'रत एक ही नज़र में भाँप जाती ‏है।

Shafiqur Rahman

इंसानी उ'म्र की सिर्फ़ तीन ही सूरतें हैं। जवानी, जवानी और जो आई।

Mohammad Yunus Butt

इसकी उदासी भी एक उदासी ही होती है। पूछो, “मुहब्बत कैसे शुरू होती है?” तो कहेगी, “मुहब्बत से ‏शुरू' होती है।” किसी ने कहा कि मियाँ बीवी के झगड़ों में सालिस बच्चे होते हैं, तो कहने लगी बिल्कुल ग़लत, मियाँ‏-बीवी के झगड़ों में सालिस रात होती है। कहती है, “मर्द और औ'रत की सोच एक जैसी होती है, औ'रत मर्द‏ से सोना माँगती है और मर्द भी बदले में सोना ही चाहता है।”‏

Mohammad Yunus Butt

अहम आदमी उस वक़्त आता है जब सब चुके होते हैं और इसकी आमद का इंतिज़ार कर रहे होते हैं। देर से आना दर-अस्ल‏ आम से ख़ास होने का अ'मल है।

Mohammad Yunus Butt

हम वादा करते हैं, तो किसी उम्मीद पर। लेकिन जब वादा पूरा करने लगते हैं, तो किसी डर के मारे।

Fikr Taunsvi

जब कोई चीज़ नायाब या महंगी हो जाती है तो उसका बदल निकल ही आता है जैसे भैंस का ने’अम-उल-बदल मूंगफली। आप‏को तो घी से मतलब है। कहीं से भी आए। अब वो मरहला गया है कि हमारे हाँ बकरे और दुंबे की सनअ'त भी‏ क़ाएम हो। आप बाज़ार में गए और दुकानदार ने डिब्बा खोला कि जनाब ये लीजिए बकरा और ये लीजिए पंप से हवा इस में ख़ुद‏ भर लीजिए। खाल इस बकरे की केरेलेन की है। और अंदर कमानियाँ स्टेनलेस स्टील की। मग़्ज़ में फ़ोम रबड़ है। वाश‏ ऐंड वियर होने की गारंटी है। बाहर सेहन में बारिश या ओस में भी खड़ा कर दीजिए तो कुछ बिगड़ेगा। हवा निकाल कर‏ रेफ्रीजरेटर में भी रखा जा सकता है। आजकल क़ुर्बानी वाले यही ले जाते हैं।

Ibn e Insha

बटन लगाने से ज़्यादा मुश्किल काम बटन तोड़ना है। और ये एक तरह से धोबियों का कारोबारी राज़ है। हमने घर पर कपड़े‏ धुलवा कर और पटख़वा कर देखा लेकिन कभी इस में कामयाबी हुई जब कि हमारा धोबी उन्ही पैसों में जो हम‏ धुलाई के देते हैं, पूरे बटन भी साफ़ कर लाता है। एक और आसानी जो उसने अपने सरपरस्तों के लिए फ़राहम की है,‏ वो ये है कि अपने छोटे बेटे को अपनी लांडरी के एक हिस्से में बटनों की दुकान खुलवा दी है जहाँ हर तरह के बटन‏ बा-रिआयत निर्ख़ों पर दस्तयाब हैं।

Ibn e Insha

हमें दुश्मन से झगड़ने के बाद ही वो गाली याद आती है, जो दुश्मन की गाली से ज़्यादा करारी और तीखी थी।

Fikr Taunsvi

उस औरत की किसी भी बात का ए'तिबार करो, जो ख़ुदा की क़सम खा कर अपनी उम्र सही बता देती है।

Fikr Taunsvi

औरत अपनी सही उम्र इसलिए नहीं बता सकती, क्योंकि उसे उसकी जवानी याद रहती है, उम्र नहीं।

Fikr Taunsvi

जानते हो औ'रत की उ'म्र के छः हिस्से होते हैं। बच्ची, लड़की, नौ-उ'म्र ख़ातून, फिर नौ-उ'म्र ख़ातून, फिर नौ-उ'म्र ख़ातून,‏ फिर नौ-उ'म्र ख़ातून।

Shafiqur Rahman

बीवी आपसे कितनी नफ़रत करती है, इसका उस वक़्त तक पता नहीं चलता, जब तक मेहमान घर में आए। जैसे ‎आपको‏‎ भूलने के सिवा कुछ नहीं आता, ऐसे ही बीवी याद रखने के सिवा और कुछ नहीं जानती। जाने कब का बुग़्ज़ ‎आपके ख़िलाफ़‏‎ सीने में लिए बैठी है जो मेहमान के आते ही पंडोरा बॉक्स की तरह आपके सिर पर उलट देती है।‏

Rajinder Singh Bedi

मेरा ज़ाती नज़रिया तो यही है कि एक तंदुरुस्त इंसान को मोहब्बत कभी नहीं करनी चाहिए। आख़िर कोई तुक भी है इस‏में? ख़्वाह-मख़्वाह किसी के मुतअ'ल्लिक़ सोचते रहो, ख़्वाह वो तुम्हें जानता ही हो। भला किस फार्मूले से साबित होता है ‏कि जिसे तुम चाहो वो भी तुम्हें चाहे। मियाँ ये सब मन-गढ़त क़िस्से हैं। अगर जान-बूझ कर ख़ब्ती बनना चाहते‏ हो तो बिस्मिल्लाह किए जाओ मुहब्बत। हमारी राय तो यही है कि सब्र कर लो।

Shafiqur Rahman

‏कहते हैं पहले आदमी सिगरेट को पीता है, फिर सिगरेट सिगरेट को पीता है और आख़िर में सिगरेट आदमी को पीता है। लेकिन‏ फिर भी ये हक़ीक़त है कि इतने लोग सिगरेट से नहीं मरते जितने सिगरेट पर मरते हैं। अंग्रेज़ी में इसे स्मोकिंग‏ कहते हैं लोगों को शायद स्मोकिंग पसंद ही इसलिए है कि इसमें ”किंग” आता है लेकिन इस दौर में ”किंग” कहीं ‏के नहीं रहे। सो लगता है अ'न-क़रीब धुआँ देने वाली गाड़ियों की तरह धुआँ देने वाले अफ़राद का भी चौराहों में चालान‏ हुआ करेगा।

Mohammad Yunus Butt

एक साहब कह रहे थे, “सिगरेट पीने से आदत नहीं पड़ती क्योंकि मैं गुज़िश्ता बीस सालों से सिगरेट पी रहा ‏हूँ, मुझे तो आदत नहीं पड़ी।” मैंने कहा, “फिर तुम सिगरेट छोड़ क्यों नहीं देते।” बोले, “सभी कहते हैं ‏सिगरेट पीना सूद-मंद है और मैं सूद के बहुत ख़िलाफ़ हूँ।”‏

Mohammad Yunus Butt

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
Speak Now