मीर तक़ी मीर
मीर तक़ी मीर
अलीम-उल्लाह जब क़ाज़ी के हौज़ पर कि गुज़रगाह ख़ास-ओ-आम है पहुंचा, तो उस जवान को वहाँ बैठे देखकर ठिटक गया, जिसके चेहरे से मायूसी, आँखों से ग़म, चैन पेशानी से, कुछ ख़िफ़्फ़त कुछ झुंझलाहट, लिबास से अफ़्लास, हुलिए से इज़्मेहलाल और तर्ज़-ए-नशिस्त से लाउबाली अंदाज़ का