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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : गोपी चंद नारंग

प्रकाशक : नियाज़ अहमद

प्रकाशन वर्ष : 1991

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : आलोचना

पृष्ठ : 398

सहयोगी : विकास गुप्ता

adabi tanqeed aur usloobiyat
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पुस्तक: परिचय

اس مجموعے کے مضامین میں راست یا براہ راست اسلوبیات سے مدد لی گئی ہے۔ اس میں زیادہ تر مضامین شعر سے متعلق ہیں ۔ میر، انیس اور اقبال کے اسلوبیات پرخاص طور پر روشنی ڈالی گئی ہے ۔ "اسلوب اقبال "میں نظریہ اسمیت اور فعلیت کی روشنی میں صرفیاتی و نحویاتی نظام کو بتایا گیا اور آگے فیض کے جمالیاتی احساس پر دقیق بحث کرنے کے علاوہ آخری میں خواجہ حسن نظامی کی نثری ارضیت اور ذاکر صاحب کے نثر کے حقائق کو منکشف کیا گیا ہے۔ گاہے بگاہے حواشی لگے ہوئے ہیں جن سے مفہوم تک پہنچنے میں آسانی ہوتی ہے۔ کتاب کے مطالعہ سے ادبی تنقید اور اسلوبیات کو سمجھنے میں مدد ملے گی۔

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लेखक: परिचय

गोपी चंद नारंग उर्दू के एक बड़े आलोचक,विचारक और भाषाविद हैं। एक अदीब, नक़्क़ाद, स्कालर और प्रोफ़ेसर के रूप में वो हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों मुल्कों में समान रूप से लोकप्रिय हैं। गोपी चंद नारंग के नाम यह अनोखा रिकॉर्ड है कि उन्हें पाकिस्तान सरकार की तरफ़ से प्रसिद्ध नागरिक सम्मान सितारा ए इम्तियाज़ और भारत सरकार की ओर से पद्मभूषण और पद्मश्री जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों से नवाज़ा गया है। उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए उन्हें और भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया गया है। जिनमें इटली का मिज़ीनी गोल्ड मेडल, शिकागो का अमीर खुसरो अवार्ड, ग़ालिब अवार्ड, कैनेडियन एकेडमी ऑफ उर्दू लैंग्वेज एंड लिटरेचर अवार्ड और यूरोपीय उर्दू राइटर्स अवार्ड शामिल हैं। वह साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित पुरस्कार से भी सम्मानित थे तथा साहित्य अकादेमी के फ़ेलो थे।
नारंग ने उर्दू के अलावा हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में भी किताबें लिखी हैं। उनकी गिनती उर्दू के प्रबल समर्थकों में की जाती है। वो इस हक़ीक़त पर अफ़सोस करते हैं कि उर्दू ज़बान सियासत का शिकार रही है। उनका मानना है कि उर्दू की जड़ें हिंदुस्तान में हैं और हिंदी दर असल उर्दू ज़बान की बहन है।

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