Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : लछ्मण भाटिया कोमल

प्रकाशक : मॉडर्न पब्लिशिंग हाउस, दरियागंज, नई दिल्ली

मूल : नई दिल्ली, भारत

प्रकाशन वर्ष : 2011

भाषा : Devnagari

श्रेणियाँ : अनुवाद

उप श्रेणियां : आत्मकथा

पृष्ठ : 274

ISBN संख्यांक / ISSN संख्यांक : 978-81-8042-214-4

अनुवादक : खीमन यू. मूलानी

सहयोगी : ख़ुर्शीद आलम

बही खाते के पन्ने
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

पुस्तक: परिचय

प्रस्तुत पुस्तक" बही खाते के पन्ने" एक आत्मकथा है जिसके लेखक श्री लक्ष्मण भाटिया हैं! लक्ष्मण भाटिया ने यह आत्मकथा 75 वर्ष की आयु में लिखनी शुरू की और यह वसीयत की थी इसे इनके देहांत के बाद ही प्रकाशित किया जाए! इस आत्मकथा में उन्होंने अपने जीवन के कुछ मीठे कुछ कड़वे सत्य लिखे हैं अपने परिवार की पुरानी यादों को इन्होने बहीखाता नाम दिया है जिसमें इनके अंतिम पांच पीढ़ियों के कृषि एवं जमीन से संबंधित अभिलेख और कुछ जमीदारों और साहूकारों से हुए लेनदेन के आंकड़े भी दर्ज हैं. यह पुस्तक तीन भागों में है। तीनों भागों के शीर्षक के लिए शब्द ”पन्ना” का उपयोग किया गया है। इस प्रकार से किताब के तीनों भागों में ६३ पत्ते हैं।

.....और पढ़िए
For any query/comment related to this ebook, please contact us at haidar.ali@rekhta.org

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए