aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : सूरज नारायण मेहर

प्रकाशक : मतबा मुफ़ीद-ए-आम, लाहौर

मूल : लाहौर, पाकिस्तान

प्रकाशन वर्ष : 1910

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : अफ़साना

पृष्ठ : 702

सहयोगी : ग़ालिब इंस्टिट्यूट, नई दिल्ली

chahal darvesh

लेखक: परिचय

मुंशी सूरज नरायन मेह्र देहलवी दाग़ के समकालिनों में से थे लेकिन वह उन शाइरों में से हैं जिन्होंने दाग़ का अनुसरण नहीं किया हालाँकि उस वक़्त दाग़ के रंग में शेर कहना ही शाइरी का शिखर समझा जाता था. उस वक़्त  मेह्र देहलवी ने दाग़ के रंग में शाइरी की पैरवी करने और आम शाइरी की रौ में बह जाने के बजाय तसव्वुफ़ का रंग अपनाया और वास्तविकता और ज्ञान के विषयों को ही अपनी शाइरी का विषयवस्तु बनाया. उसी रँगे शाइरी की वजह से उनको वेदांत रत्नभी कहा जाता था.

सूरज नरायन मेह्र देहलवी ने कई विधाओं में शाइरी की. उन्होंने बच्चों के लिए भी नज़्में लिखीं. मेह्र के काव्य संग्रह कलाम-ए-मेह्र रुबाईयाते मेह्र  और ग़ज़लियात-ए-मेह्रके नाम से प्रकाशित हुए. मेह्र का 1932 में देहली में देहांत हुआ.

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