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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : नसीम देहलवी

प्रकाशक : मतबा मुस्तफ़ाई, लखनउ

मूल : लखनऊ, भारत

प्रकाशन वर्ष : 1867

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : दीवान

पृष्ठ : 250

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

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लेखक: परिचय

नसीम देहलवी, असग़र अ’ली ख़ाँ(1799-1866)दिल्ली के एक भरे-पुरे घराने में पैदा हुआ मगर पिता के गुज़रने के बा’द भाइयों में जायदाद के बटवारे पर झगड़ा हुआ, जिस से बद-दिल हो कर लखनऊ चले गए और वहीं बस रहे। लखनऊ में माली दुश्वारियों में रहे मगर किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। मुंशी नवल किशोर के प्रेस में ‘दास्तान-ए-अल्फ़लैला’ के एक हिस्से का छंदबद्ध अनुवाद किया।


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