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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : कश्मीरी लाल ज़ाकिर

प्रकाशक : नावेलिस्तान जामिया नगर, नई दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 1991

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : नॉवेल / उपन्यास

उप श्रेणियां : नीतिपरक

पृष्ठ : 264

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

हारे हुए लश्कर का आख़िरी सिपाही
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पुस्तक: परिचय

کشمیری لال ذاکر اردو فکشن میں جانا پہچانا نام ہے حالانکہ اردو ادب میں انہیں وہ توجہ نہیں مل سکی جس کے وہ حقدار تھے تاہم ’آخری ادھیائے‘ جیسا ناول انہوں نے جس اچھوتے موضوع یعنی ایڈس پر لکھا تھا، اسے اردو ادب میں شاید ہی کسی نے چھوا ہو۔ ان کا یہ ناول حالانکہ اس سے الگ ہے لیکن کہیں نہ کہیں ان کے بقیہ ناولوں کی طرح ہی انسانی رشتوں کے بننے، استوار ہونے اور پھر ٹوٹ جانے کی کہانی ہی کہتا ہے۔ ان کے اس ناول کے کردار اس بات کا تقاضا کرتے ہیں کہ وہ زندگی کو اپنی شرطوں پر آزادی کے ساتھ جئیں اور اپنے فیصلوں پر انہیں مکمل اختیار ہو۔ لیکن ان کے یہاں ایسا ہوتا نہیں ہے بلکہ فرد پر سماجی و جذباتی دباوٴ اس قدر ڈالا جاتا ہے کہ وہ اندر ہی اندر ٹوٹ کر بکھر جاتا ہے۔ اس طرح المیہ ان کے فکشن کے مرکز میں رہتا ہے۔

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लेखक: परिचय

कशमीरी लाल ज़ाकिर 7 अप्रैल 1919 को बेगाबनियान गुजरात पाकिस्तान में पैदा हुए। उन्होंने आरम्भिक शिक्षा रियासत पुँछ और श्रीनगर के स्कूलों में प्राप्त की और फिर पंजाब यूनीवर्सिटी से बी.ए. और एम.ए. किया। ज़ाकिर प्रगतिवादी विचारधारा के प्रेरक अदीबों और शायरों में हैं। उन्होंने अपनी शायरी, कहानियों और नावेलों के द्वारा देश के दर्दनाक राजनैतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समस्याओं के विरुद्ध एक स्थायी जिहाद किया। ज़ाकिर ने अपनी साहिय्यिक यात्रा का आरम्भ तो शायरी से किया था लेकिन धीरे-धीरे वह कथा की तरफ़ आ गए। फिर मंटो, कृश्न चन्दर, अश्क, भीष्म साहनी और बेदी के सामीप्य ने उनकी कहानी कहने और देश की समस्याओं पर एक ज़िम्मेदार रचनाकार के दृष्टिकोण से सोचने में उनकी मदद की। विभाजन के बाद पूरे देश में भड़क उठने वाले फ़सादात और कश्मीर की दर्दनाक स्थिति ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। उन स्थितियों से पैदा होने वाली पीड़ा उनकी कहानियों का अहम हिस्सा है। उनकी किताबें ‘जब कश्मीर जल रहा था’, ‘अंगूठे का निशान’, ‘उदास शाम के आख़िरी लम्हे’, ‘ख़ून फिर ख़ून है’, ‘एक लड़की भटकी हुई’ वग़ैरह उसी रचनात्मक पीड़ा की आभिव्यक्ति हैं।
कशमीरी लाल ज़ाकिर की विभिन्न विधाओं पर आधारित सौ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुईं। ज़ाकिर को कई महत्वपूर्ण पुरुस्कारों से भी नवाज़ा गया। 2016 में देहांत हुआ।
लब्ध प्रतिष्ठित कथाकार, पद्मश्री सम्मान से सम्मानित

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