aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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लेखक : नाज़िश प्रतापगढ़ी

प्रकाशक : नाज़िश प्रतापगढ़ी

प्रकाशन वर्ष : 1978

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 161

सहयोगी : ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती यूनिवर्सिटी, लखनऊ

jahan aur bhi hain

लेखक: परिचय

नाज़िश प्रताबगढ़ी प्रगतिशील आंदोलन से सम्बद्ध अहम शाइरों में से हैं. वह आजीवन व्यवहारिक और रचनात्मक दोनों स्तर पर आंदोलन के विचारधारा को आम करने और एक शानदार समाज की स्थापना की कोशिशों में लगे रहे. नाज़िश ने प्रचूर मात्रा में ऐसी नज़्में भी कहीँ जो देशप्रेम और राष्ट्रप्रेम की भावनाओं से लबरेज़ हैं. ‘अपनी धरती अपनीबात’, ‘ख़ाके और लकीरें’, ‘मता-ए-क़लम’ उनके काव्य संग्रह हैं.
नाज़िश की पैदाइश 12 जुलाई 1924 को प्रताबगढ़ में हुई. आजीविका की तलाश के लिए व्हीलर एंड कम्पनी में रेलवे बुक्स स्टाल के एजेंट के रूप में काम करते रहे. 1984 में लखनऊ में देहांत हुआ.

 

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