aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
मुज़्तर हैदरी का अस्ल नाम दिलावर हुसैन था और पिता का नाम इमदाद हुसैन। 1924 में कलकत्ता में पैदा हुए। उनका पैतृक घर अकबराबाद आगरा था। मुज़्तर अपने वक़्त में अहम शायर के तौर पर तस्लीम किये जाते थे, बहुत दिलकश और ख़ुशनुमा तरन्नुम था, ख़ास महफ़िलों में शायरी सुनाते थे। उनका काव्य संग्रह ‘जाम-ए-जम’ प्रकाशित हुआ तो बहुत प्रसिद्धी मिली।
मुज़त्तर की निजी ज़िंदगी बहुत सी मुश्किलों और परेशानियों से घिरी रही। उनकी ज़िंदगी की निजी पीड़ा और दुख की अभिव्यक्ति उनकी शायरी में एक बड़े सार्वजनिक और सांसारिक रंग में रंगी हुई है।
मुज़्तर हैदराबादी का देहांत बहुत रहस्यमय परिस्थिति में मदरसा आलिया तालाब में डूबकर हुई। यह घटना 14 मई 1975 को हुई।
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