aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : राग़िब मुरादाबादी

प्रकाशक : एजुकेशनल प्रिंटिंग प्रेस, कराची

प्रकाशन वर्ष : 1979

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : काव्य संग्रह

पृष्ठ : 186

सहयोगी : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (हिन्द), देहली

मिदहत-ए-ख़ैरुल बशर

पुस्तक: परिचय

زیر نظر کتاب غالب کی زمینوں میں 66 نعتوں کا مجموعہ ہے اور نعت گو ہیں راغب مرادآبادی۔ یہ نعتیہ کلام بذات خود اردو ادب میں بیش بہا اضافہ ہے ہی ساتھ ایک نئے قسم کا تجربہ بھی ہے جو نعت کی شکل میں غالب کی زمین میں کیا گیا۔ راغب مرادآبادی کی اہمیت کا اندازہ یوں بھی لگایا جا سکتا ہے کہ وہ ایک زمانے میں صفی لکھنوی، مولانا ظفر علی خاں اور سیماب اکبرآبادی جیسے مشاہیر کی توجہ کا مرکز رہ چکے ہیں۔ اس کتاب میں نثر کی شکل میں تین وقیع مضامین بھی شامل ہیں۔

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लेखक: परिचय

रागिब मुरादाबादी 27 मार्च 1918 को देहली में पैदा हुए. उनका पैतृकस्थान मुरादाबाद था. विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गये. बी.ए. तक शिक्षा प्राप्त की उसकेबाद तिब्बिया कालेज दिल्ली से तिब की सनद हासिल की लेकिन सरकारी नौकरी को आजीविका का साधन बनाया. सिंध सरकार के लेबर विभाग से जनसंपर्क अधिकारी के रूप में सेवानिवृत हुए.
रागिब मुरादाबादी ने 1932 में शे’र कहना आरंभ किया. ग़ज़ल के अलावा और कई विधाओं में शायरी की. उर्दू और फ़ारसी दोनों ज़बानों में शे’र कहते थे. रागिब ने क़ौमी और मिल्ली विषयों पर नज़्में भी कहीँ. उनकी यह नज़्में ‘अज्म व ईसार’ के नाम से प्रकाशित हुईं. ‘साग़र सदरँग,’ ‘हमारा कश्मीर,’ ‘नज़रे शुहदाए करबला,’ ‘तहरीक,’ ‘तर्गीब,’ ‘मिद्हत-ए-खैरुलबशर,’ ‘मदह-ए-रसूल,’ ‘हफ्त आसमां,’(रुबाईयात) ‘रगे गुफ़्तार,’ उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं.

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