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लेखक : इरफ़ान सिद्दीक़ी

संपादक : सय्यद मोहम्मद अशरफ़

प्रकाशक : अर्शिया पब्लिकेशन्स, दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 2016

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : कुल्लियात

पृष्ठ : 573

सहयोगी : विकास गुप्ता

shahr-e-malal

पुस्तक: परिचय

عرفان صدیقی کا شمار اردو کے اُن شعرا میں ہوتاہے جنہوں نے تقسیم کے بعد ہوش سنبھالا۔ انہوں نے اس ذہنی اور جذباتی فضا کو جس میں برصغیر کے مسلمان سانس لے رہے تھے ، بڑی ہنر مندی کے ساتھ اپنی غزل کا موضوع بنایا۔ عرفان صدیقی کی شعری کائنات کافی وسیع ہے۔ حسن و عشق کے معاملات سے لے کر سانحۂ کربلا تک کے واقعات ان کی شاعری کا موضوع قرار پائے ہیں۔ کلاسیکی شعری روایات کو جدید ترین آہنگ شاعری کے امتزاج سے ایک نئی شعری ”بوطیقا“ مرتب کردی ہے۔"شہرملال"عرفان صدیقی کی کلیات ہے جس کو سید محمد اشرف نے ترتیب دیا ہے، اس سے قبل"دریا"کے نام سے بھی عرفان صدیقی کا کلیات شائع ہوا تھا جس میں عرفان صدیقی کا بہت سا کلام شامل نہیں تھا اور جس کلیات سے خود عرفان صدیقی بھی مطمئن نہیں تھے، چنانچہ اس کلیات میں سید محمد اشرف نے ان کے وہ شعری مجموعے بھی شامل کر دئے ہیں جو پہلے نہیں چھپ سکے تھے۔ساتھ ہی ساتھ عرفان صدیقی کی بیگم سے وہ غزلیں بھی لیکر شائع کیں جو اس سے پہلے کہیں بھی شائع نہیں ہوئیں تھیں،اس کلیات کے شروع میں مرتب نےعرفان صدیقی کےسوانحی حالات بھی بڑی تفصیل کے ساتھ پیش کئے ہیں۔

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लेखक: परिचय

इरफ़ान सिद्दीक़ी 08 जनवरी 1939 को बदायूँ (उत्तर प्रदेश) में पैदा हुए। बदायूँ और बरेली में शिक्षा प्राप्त की और समाजशास्त्र में पोस्ट ग्रैजुएशन किया। 1962  में वो सेंट्रल इन्फ़ार्मेशन सर्विस के लिए चुने गए,  पी.आई.बी में नियुक्ति मिली और 1997 में डिप्टी प्रिंसिपल इन्फ़ार्मेशन ऑफीसर के पद से सेवा निवृत्त हुए। 1964 में श्रीमती सय्यदा हबीब से शादी हुई। 15 अप्रैल 2004 को लखनऊ में देहांत हुआ। इरफ़ान सिद्दीक़ी का पहला कविता संग्रह ‘कैन्वस’ 1978  में प्रकाशित हुआ जिसके बा’द शब-दर्मियाँ (1984),  सात समावात (1992), इ’श्क़-नामा (1997) और हवा-ए-दश्त-ए-मारिया (1998) का प्रकाशन हुआ। उनके दो कुल्लियात (संग्रह) में से ‘दरिया’ 1999  इस्लामाबाद से और ‘शह्र-ए-मलाल’  2016  में देहली से प्रकाशित हुआ। उनकी अन्य किताबों में ‘अ’वामी तर्सील’ (1977) और ‘राब्ता-ए-आ’म्मा’, (1984) ‘रुत-सिंघार’ (कालिदास के नाटक ऋतु संघारम का उर्दू अनुवाद), मालविका आग्नि मित्रम (कालिदास के नाटक का उर्दू अनुवाद) और ‘रोटी की  ख़ातिर’ (अरबी उपन्यास का उर्दू अनुवाद) शामिल हैं। उन्हें उर्दू अकादमी उत्तर प्रदेश और ग़ालिब इंस्टीट्यूट, देहली के सम्मान प्राप्त हुए।

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