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रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : मसऊद हुसैन ख़ां

प्रकाशक : नेशनल फ़ाइन प्रिंटिंग प्रेस, हैदराबाद

प्रकाशन वर्ष : 1966

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : भाषा एवं साहित्य, शोध एवं समीक्षा

उप श्रेणियां : शायरी, भाषा

पृष्ठ : 282

सहयोगी : मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, भोपाल

muqaddamat-e-sher-o-zaban
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पुस्तक: परिचय

مسعود حسین خاں اردو کے بہترین ناقد و ماہر لسانیات اور محقق ہیں۔ خصوصا اردو زبان و ادب کی تاریخ ، ابتدا و ارتقا سے متعلق مسعود حسین صاحب کے تنقیدی مضامیں اہمیت کے حامل ہیں۔ پیش نظر مسعود حسین خاں کے ایسے ہی تنقیدی و لسانیاتی مضامین کا انتخاب " مقدمات شعر و زبان" ہے۔ یہ مضامین وقتا فوقتا مختلف رسائل و جرائد کی زینت بن چکے ہیں۔ کتاب کو " شعر " اور " زبان " دو حصوں میں تقسیم کیا گیا ہے۔ پہلے حصے میں شاعری سے متعلق "تخلیق شعر، مطالعہ شعر، سماج اور شعر، غزل کا فن، ہندی عروض اوراردو شاعری ، ہندی پنگل کی مبادیات اور شمالی ہندیا پہلا مستند شاعر محمد افضل فضل " جیسے مضامین شامل ہیں۔ کتاب کا دوسرا حصہ " زبان" میں ہندوستان میں اردو کاعروج وزوال ، دکنی یا اردو ئے قدیم ،اردو صوتیات کاخاکہ،اور علی گڑھ تحریک مسل یونیورسٹی اور اردو زبان" اہم مضامین اردو زبان کی لسانی تجزیہ کے ساتھ اہم اور معلوماتی ہیں۔مجموعی طور پر یہ کتاب تنقیدی اور لسانیاتی اعتبار سے اہمیت کی حامل ہے۔

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लेखक: परिचय

प्रमुख शोधकर्ता, प्रसिद्ध आलोचक और प्रसिद्ध भाषाविद प्रोफ़ेसर मसऊद हुसैन ख़ां ने उर्दू भाषा व साहित्य के लिए अमूल्य सेवाएं प्रदान की हैं। शे’र व साहित्य की दुनिया में उनकी उपलब्धियां अविस्मरणीय हैं।

मसऊद हुसैन ख़ां, वतन क़ायमगंज (उत्तरप्रदेश) मैं पैदा हुए और ढाका (बंगला देश) में आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी से एम.ए और पी.एचडी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। आगे की शिक्षा के लिए यूरोप गए और पेरिस यूनीवर्सिटी से भाषाविज्ञान में डी.लिट की डिग्री प्राप्त की। हिंदुस्तान वापस आकर ऑल इंडिया रेडियो से नौकरी के सिलसिले में सम्बद्ध हो गए। लेकिन ये उनका पसंदीदा शुग़ल नहीं था। असल दिलचस्पी अध्यापन में थी। रेडियो की नौकरी से निवृत हो कर अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के उर्दू विभाग में लेक्चरर हो गए। कुछ समय बाद उस्मानिया यूनीवर्सिटी के उर्दू विभाग में प्रोफ़ेसर हो कर हैदराबाद चले गए। फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के भाषाविज्ञान विभाग में पहले प्रोफ़ेसर व विभागाध्यक्ष का पद ग्रहण किया। यूनीवर्सिटी आफ़ कैलिफोर्निया (अमरीका) और कश्मीर यूनीवर्सिटी श्रीनगर में विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे। सन्1973 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली के वाइस चांसलर नियुक्त हुए। वहाँ से सेवानिवृत्त होने के बाद जामिया उर्दू अलीगढ़ के मानद कुलपति और अलीगढ़ यूनीवर्सिटी के भाषाविज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर एमेरिटस के पदों पर आसीन हुए और अलीगढ़ में निवास किया और लेखन व संकलन में व्यस्त हो गए। उनकी विद्वतापूर्ण साहित्यिक सेवाओं के सम्मान में उन्हें सन् 1984 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

मसऊद हुसैन ख़ां शायर भी हैं। “रूप बंगाल” और “दो नीम” उनके काव्य संग्रह हैं। “रूप बंगाल”  का हिन्दी में अनुवाद भी हो चुका है। बिकट कहानी, आशूरा नामा और मसनवी कदम राव पदम राव वैज्ञानिक सिद्धांतों पर संकलित करके उन्होंने उल्लेखनीय सेवा प्रदान की।

हैदराबाद प्रवास के दौरान “क़दीम उर्दू” नाम से उन्होंने एक शोध पत्रिका जारी किया था जिसका उद्देश्य आधुनिक सिद्धांतों पर आधारित प्राचीन ग्रंथों को प्रकाशित करना था। एक शब्दकोश की तैयारी का काम भी उन्होंने अंजाम दिया। “इक़बाल की नज़री-ओ-अमली शे’रियात” में इक़बाल की शायरी का अध्ययन भाषाविज्ञान की रोशनी में किया गया है। शे’र-ओ-ज़बान, उर्दू ज़बान-ओ-अदब और उर्दू का अलमिया लेखों के संग्रह हैं। भाषाविज्ञान को यहाँ भी केन्द्रीय हैसियत प्राप्त है। “मुक़द्दमा तारीख़-ए-ज़बान उर्दू” उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसमें उर्दू की उत्पत्ति और विकास के मुद्दे पर तार्किक बहस की गई है।

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