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सलाहुद्दीन नय्यर उर्दू के प्रसिद्ध शायर और सम्पादक हैं. उन्होंने ग़ज़ल के साथ नज़्म की कई विधाओं में शायरी की. उनके अबतक एक दर्जन से ज़्यादा काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. इसके अलावा वह अदब की तनक़ीद (आलोचना) और दूसरे सामाजिक व सांस्कृतिक विषयों पर भी लिखते रहे. उनके सम्पादन में प्रकाशित होनेवाला रिसाला ‘खुशबु का सफ़र’ नये साहित्यिक विषयों पर बहस और नये रचनाकारों का परिचय कराने के लिए जाना जाता है.
सलाहुद्दीन नय्यर 25 जनवरी 1935 को हैदराबाद के एक जमींदार घराने में पैदा हुए. उनके पिता मुहम्मद शम्सुद्दीन एक सूफ़ी मानुष और ख़ुदातरस बुज़ुर्ग थे जो जामा मस्जिद हम्नाबाद के ख़तीब (धर्मोपदेशक) के अलावा एक सफल व्यवसायी भी थे. नय्यर ने उर्दू-फ़ारसी की आरम्भिक शिक्षा अपने ताया से हासिल की. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मेट्रिक किया और उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की. 1965 में नय्यर का पहला काव्य संग्रह ‘गुले ताज़ा’ के नाम से प्रकाशित हुआ.
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