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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : शमीम करहानी

प्रकाशक : जमाल प्रिन्टिंग प्रेस, दिल्ली

प्रकाशन वर्ष : 1974

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : मुसद्दस

पृष्ठ : 63

सहयोगी : ग़ालिब अकेडमी, देहली

subh-e-faaran
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लेखक: परिचय

शमीम करहानी का नाम प्रगतिशील शायरों में बहुत प्रमुख है। उनका जन्म 1913 में करहान ज़िला आज़मगढ़ में हुआ। उनका असल नाम शमसुद्दीन हैदर था, शमीम तख़ल्लुस करते थे। शमीम करहानी मशहूर प्रगतिशील कहानीकार अली अब्बास हुसैनी के भांजे थे। शमीम करहानी की शिक्षा दीक्षा आज़मगढ़ में ही हुई। कुछ अर्से तक आज़मगढ़ के स्थानीय स्कूल में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। उसी दौरान फ़िल्मी दुनिया से उनका सम्बंध हुआ, उनहोंने फिल्मों के लिए गीत भी लिखे लेकिन यह सिलसिला जल्द ही ख़त्म हो गया और वह वापस आज़मगढ़ आ गये। 1950 में वह एंग्लो अरबिक हायर सेकेंड्री स्कूल में फ़ारसी के अध्यापक नियुक्त किये गये और आख़िर तक इसी स्कूल से सम्बद्ध रहे।

शमीम करहानी का पहला काव्य संग्रह अंजुमन तरक़्क़ी पसंद मुसन्निफ़ीन ने 1939 में, ‘बर्क़-ओ-बाराँ’ के नाम से प्रकाशित किया। शमीम करहानी ने अधिक तवज्जोह नज़्मों पर दी, उनकी नज़्मों में देशभक्ति की उग्रभावना के साथ इन्क़लाबी तेवर पाये जाते हैं। उनकी ग़ज़लों में भी यह ख़ास रंग झलकता है। महात्मा गांधी की शहादत से प्रभावित हो कर लिखी गयी उनकी नज़्म ‘जगाओ न बापू को नींद आ गयी है’ बहुत मशहूर हुई।

शायरी के अलावा उन्होंने हिन्दी उपन्यासों के उर्दू अनुवाद भी किये और बच्चों के लिए अंग्रेज़ी नज़्मों को उर्दू रूप प्रदान किया। अपने अन्तिम दिनों में वे दिल्ली में रहे और यहीं देहांत हुआ।

 

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