aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हुरमतुल इकराम

प्रकाशक : हल्क़ा-ए-तरवीज-ए-अदब, कोलकाता

प्रकाशन वर्ष : 1957

भाषा : Urdu

श्रेणियाँ : शाइरी

उप श्रेणियां : नज़्म

पृष्ठ : 64

सहयोगी : मज़हर इमाम

ujalon ke geet

लेखक: परिचय

‘कल्कत्ता एक रुबाब’ नज़्म इतनी मशहूर हुई कि लोग उसी नज़्म की वजह से हुरमतुल इकराम को जानने लगे। यह नज़्म कलकत्ता से हुरमतुल इकराम की मुहब्बत और कलकत्ता को एक नयी और सृजनात्मक दृष्टि से देखने का सुबूत है। हुरमतुल इकराम ने और भी नज़्में कहीं और गज़लें भी लेकिन यह नज़्म उनकी पहचान का संदर्भ बन गयी।

हुरमतुल इकराम का अस्ल नाम सैयद अंसार हुसैन था, वतन आज़मगढ़। उनकी पैदाइश मिर्ज़ापुर में 2 दिसम्बर 1928 को हुई। हुरमतुल इकराम की ज़्यादातर जिंदगी कलकत्ते में गुज़री, इसी लिए कल्कते की ज़मीन के रंग उनकी शायरी में बस गये। उनकी शायरी के कई संग्रह प्रकाशित हुए। ‘उजालों के गीत’, ‘शहपर’, ‘जवा-ए-नुमु’ और ‘शाख़-ए-आगही’, उल्लेखीय हैं। 6 जनवरी 1983 को उनका देहांत हुआ

 

.....और पढ़िए

लेखक की अन्य पुस्तकें

लेखक की अन्य पुस्तकें यहाँ पढ़ें।

पूरा देखिए

लोकप्रिय और ट्रेंडिंग

सबसे लोकप्रिय और ट्रेंडिंग उर्दू पुस्तकों का पता लगाएँ।

पूरा देखिए

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए