aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह ज़ुबैर हसन की शायरी का मजमू'आ है जो उनकी क़द्रों से गहरी वाबस्तगी को ज़ाहिर करता है। इसमें असरी वाक़यात और हादिसात, खुसूसन तक़सीम-ए-हिंद और उसके तहज़ीबी अलमिये की मुअस्सिर तस्वीर कशी की गई है। उनकी क्लासिकी हैसियत वाली शायरी में एक नई ताज़गी है जो इस्लामी तहज़ीब को दरपेश तारीखी चैलेंजों के इद्राक से पैदा हुई है।
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here