aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
यह शैख़ शब्बीर अहमद का उर्दू अफ़सानों का मजमूआ है, जो पेशे से एक उस्ताद हैं। यह अफ़साने ख़ास तौर पर कश्मीर के पहाड़ी और सरहदी इलाक़ों में मौजूद समाजी नाहमवारियों, सियासी नाइंसाफ़ियों, इंसानी परेशानियों, जहालत, बेबसी और क़दामतपरस्ती जैसे मसाइल पर रोशनी डालते हैं। मुसन्निफ़ ने देही और पहाड़ी माहौल में मौजूद इंसानी हमदर्दी, दोस्ती, प्यार, ख़ुलूस और यगानगत जैसी अक़दार को उजागर किया है, और उनके दीगर मुआशरों में घटने की तरफ़ इशारा किया है। उनकी तहरीर इन मुआशरती अफ़रीतों से लड़ने का एक हथियार है।
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