aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

लेखक : हसन नईम

प्रकाशन वर्ष : 1980

भाषा : Devnagari

पृष्ठ : 82

सहयोगी : मज़हर इमाम

ghazal nama

लेखक: परिचय

हसन नईम उन प्रगतिवादी शाइरों में से हैं जो आंदोलन के साकारात्मक इन्क़लाबी विचारों के न सिर्फ़ समर्थक रहे बल्कि व्यवहारिक स्तर पर भी उन विचारधाराओं के अधीन एक नये समाज की स्थापना के लिए संघर्ष करते रहे. इस संघर्ष में उन्होंने अपनी स्रजनात्मक योग्यताओं को भी शामिल किया लेकिन कला की मर्यादा को बचाए रखकर. उनकी शाइरी आंदोलन के विचारधारा के प्रचार और इन्क़लाबी नारों में गुम नहीं हुई बल्कि एक नई और ताज़ा काव्य चलन के आरम्भ की वजह बनी. यह शाइरी क्लासिकी चेतना, नये ज़माने की समस्याएं व कठिनाइयों और उनके अभिव्यक्ति के नये तरीक़ों से जानकारी का सम्मिश्रण है.हसन नईम की पैदाइश अज़ीमाबाद पटना में 06 जनवरी 1927 को एक बहुत ही शिक्षित और मज़हबी घराने में हुई. उनके दादा सय्यद गुलाम हुसैन क़ासिम राजगीर की दरगाह पीर इमामुद्दीन के सज्जादानशीं थे. पिता ने आधुनिक शिक्षा प्राप्त की और बैरिस्टर के रूप में अपनी सेवाएँ दीं. हसन नईम की आरम्भिक शिक्षा शेखुपुरा में हुई. 1943 में मोहमडन एंग्लो अरबिक स्कूल पटना से हाईस्कूल किया. उसकेबाद बी.एन. कालेज पटना से इंटर किया. 1946 में अलीगढ़ में बी.एससी. में दाख़िला लिया. अलीगढ़ के विद्यार्थी जीवन में ही प्रगतिशील लेखक संघ से सम्बद्ध हुए और एक सक्रिय सदस्य के रूप में मशहूर हुए. अलीगढ़ से पटना वापसी पर संघ के स्थानीय शाखा के सचिव चुने गये.आरम्भ में हसन नईम ने पटना और कलकत्ता के स्थानीय स्कूलों में अस्थायी नौकरियाँ भी कीं. बाद में वह कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर रहे. 1968 में सरकारी नौकरी से निवृत होकर ग़ालिब इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर के रूप में अपनी सेवाएँ दीं. हसन नईम के ‘अशआर’ और ‘दबिस्तान’ दो काव्य संग्रह प्रकाशित हुए.

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