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मिली है छुट्टी सो तू भी अपनों को जा मिलेगा

अबू लेवीज़ा अली

मिली है छुट्टी सो तू भी अपनों को जा मिलेगा

अबू लेवीज़ा अली

MORE BYअबू लेवीज़ा अली

    मिली है छुट्टी सो तू भी अपनों को जा मिलेगा

    हमारी आँखों का की ख़ैर फिर जागना मिलेगा

    आइने से ही ख़ुद ये पूछें कि आप क्या हैं

    बहुत मिलेंगे मगर कहाँ आप सा मिलेगा

    वो अपना हामी ये कह रहा था कि तेरी ख़ातिर

    जो जंग हुई तो वो पहली सफ़ में खड़ा मिलेगा

    हमारी आँखों से चैन ले कर तू सो सकेगा

    तू ही बता तुझ को ऐसा करने से क्या मिलेगा

    चराग़-ए-सहरी सी दिल की हालत मिलेगी तुम को

    जो तुम मिलोगे तो दिल हमारा बुझा मिलेगा

    हज़ार रंगों का एक सपना सजा रहे हो

    हज़ार रातों का तोहफ़तन रतजगा मिलेगा

    तुम्हारी आँखों के सब्ज़ रंगों में दिलकशी है

    मैं रात जागा हूँ मेरी आँखों में क्या मिलेगा

    हमारा चेहरा उदासियों से बना हुआ है

    हमारे चेहरे का रंग अक्सर उड़ा मिलेगा

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