दिल्ली के शायर और अदीब
कुल: 297
दाग़ देहलवी
उर्दू के सबसे लोकप्रिय शायरों में शामिल। शायरी में चुस्ती , शोख़ी और मुहावरों के इस्तेमाल के लिए प्रसिद्ध
ख़्वाजा मीर दर्द
सूफ़ी शायर, मीर तक़ी मीर के समकालीन। भारतीय संगीत के गहरे ज्ञान के लिए प्रसिध्द
मोहम्मद हुसैन आज़ाद
उर्दू के अनोखी शैली के गद्यकार और शायर. ‘आब-ए-हयात’ के रचनाकार. उर्दू में आधुनिक कविता के आन्दोलन के संस्थापकों में शामिल.
मोहम्मद रफ़ी सौदा
18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन
मोमिन ख़ाँ मोमिन
ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन। वह हकीम, ज्योतिषी और शतरंज के खिलाड़ी भी थे। कहा जाता है मिर्ज़ा ग़ालीब ने उनके शेर "तुम मेरे पास होते हो गोया, जब कोई दूसरा नही होता" पर अपना पूरा दीवान देने की बात कही थी
नज़ीर अकबराबादी
मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन। अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज्में लिखीं। होली, दीवाली, श्रीकृष्ण पर नज़्मों के लिए मशहूर
सैय्यद मोहम्मद मीर असर
प्रमुख क्लासिकी शायर, मीर दर्द के छोटे भाई।
ताबाँ अब्दुल हई
शायरी के अलावा अपनी सुंदरता के लिए भी प्रसिद्ध। कम उम्र में देहांत हुआ
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
मुग़ल बादशाह शाह आलम सानी के उस्ताद, मीर तक़ी मीर के बाद के शायरों के समकालीन
अमीर क़ज़लबाश
लोकप्रिय शायर और फि़ल्म गीतकार/प्रेम रोग और राम तेरी गंगा मैली के गीतों के लिए मशहूर
अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ
18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन
बहादुर शाह ज़फ़र
आख़िरी मुग़ल बादशाह। ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन
फ़ाएज़ देहलवी
मीर से पहले के मशहूर शायर, उर्दू शायरी के संस्थापक
इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन
मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन और उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रसिद्ध। उन्हे उनके पिता ने क़त्ल किया।
इक़बाल बानो
लाला सिरी राम
मीर मोहम्मदी बेदार
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
मुफ़्ती सदरुद्दीन आज़ुर्दा
निदा फ़ाज़ली
महत्वपूर्ण आधुनिक शायर और फ़िल्म गीतकार। अपनी ग़ज़ल ' कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता ' के लिए प्रसिद्ध
राशिदुल ख़ैरी
आधुनिक उर्दू गद्य के प्रथम पंक्ति के लिखने वालों में शामिल. इनके लेखन ने उर्दू में अफ़्सानानिगारी के रूझान को परवान चढ़ाया. ‘मुसव्विर-ए-ग़म’ के रूप में जाने जाते हैं.
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता
ज़हीर देहलवी
ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़
अहम क्लासिकी शायर, ग़ालिब की बीवी के भांजे, जिन्हें ग़ालिब ने अपने सात बच्चों के असमय निधन के बाद बेटा बना लिया था. ग़ालिब आरिफ़ की शायरी के प्रशंसकों में भी शामिल थे
आफ़ताब शाह आलम सानी
मुग़ल बादशाह जिन्होंने लाल क़िले और अपने दरबार में उर्दू शायरी का सिलसिला शुरू किया
आग़ा शाएर क़ज़लबाश
उत्तर-क्लासिकी युग के महत्वपूर्ण शायर, दाग़ देहलवी के शागिर्द।
अख़लाक़ अहमद देहलवी
अनवर देहलवी
उत्तर-क्लासिकी शायर, ज़ौक़ और ग़ालिब के शिष्य अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध
असलम परवेज़
बर्क़ देहलवी
दिल्ली की काव्य परम्परा के अंतिम दौर के शायरों में शामिल, अपने ड्रामे ‘कृष्ण अवतार’ के लिए प्रसिद्ध
जावेद मुशीरी
ख़्वाजा मोहम्मद शफ़ी देहलवी
मख़मूर देहलवी
प्रतिष्ठित शायर, अपने शेर " मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़सूस होते हैं " के लिए मशहूर
मज़हर अली ख़ान विला
मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार
मुग़ल साम्राज्य के युवराज, शाह आलम सानी के बेटे
मिर्ज़ा सज्जाद बेग देहेल्वी
पंडित किशन प्रसाद कौल
- जन्म : दिल्ली