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हैदराबाद के शायर और अदीब

कुल: 218

उर्दू दीवान संकलित करने वाले पहले शायर, दक्षिण भारत की क़ुतुब शाही के बादशाह

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

सबसे लोकप्रिय उत्तर क्लासिकी शायरों में प्रमुख/अमीर मीनाई के शार्गिद/दाग़ देहलवी के बाद हैदराबाद के राज-कवि

एक क्लासिकी शायरा, मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा सौदा की समकालीन

महत्वपूर्ण प्रगतिशील शायर। उनकी कुछ ग़ज़लें ' बाज़ार ' और ' गमन ' , जैसी फिल्मों से मशहूर

आधुनिक उर्दू गद्य के प्रथम पंक्ति के लिखने वालों में शामिल. इनके लेखन ने उर्दू में अफ़्सानानिगारी के रूझान को परवान चढ़ाया. ‘मुसव्विर-ए-ग़म’ के रूप में जाने जाते हैं.

हैदराबाद के प्रसिद्ध शायर

उर्दू शायरी को परम्परा निर्माण करने वाले अग्रणी शायरों में शामिल

हैदराबाद के प्रसिद्ध शायर,जोश के समकालीन, दोनों के मध्य समकालिक नोक झोंक भी रही. अपनी लम्बी नज़्म ‘कौल फैसल’ के लिए प्रसिद्ध

नई ग़ज़ल के महत्वपूर्ण शायर

प्रमुख आलोचक / पत्रिका ‘शेर-ओ-हिक्मत’ के संपादक थे

नई ग़ज़ल के प्रतिष्ठित शायर

आधुनिक साहित्य के संस्थापक पत्रिका के संपादक।

अल्ताफ़ हुसैन हाली के प्रमुख शिष्य

माहिर-ए-अमराज़ और उर्दू के मिज़ाह निगारों में शामिल

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