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लखनऊ के शायर और अदीब

कुल: 242

बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विद्वान,लेखक, अनुवादक,उपन्यासकार, नाटककार. लखनऊ की सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन के मर्मज्ञ.

लखनऊ के अहम क्लासिकी शायर, आतिश के शागिर्द, लखनऊ पर लिखी अपनी लम्बी मसनवी ‘अफ़साना-ए-लखनऊ’ के लिए मशहूर

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

लखनऊ के प्रसिद्ध शायर, मिर्ज़ा दबीर के सुपुत्र, काव्य विद्या पर अपनी किताब ‘मिक़यासुल अशआर’ के लिए भी प्रसिद्ध

पाकिस्तान में अग्रणी शायरों में शामिल, अपनी सांस्कृतिक रूमानियत के लिए मशहूर।

19 वीं सदी के शायर

विश्व प्रसिद्ध मसनवी " ज़हर-ए-इश्क़ " के रचयिता

महत्वपूर्ण आधुनिक कथाकार, पुरातन लखनऊ के सांस्कृतिक परिदृश्य की रहस्यमयी कहानियाँ लिखने के लिए जाने जाते हैं। आलोचनात्मक आलेख और जीवनी की कई पुस्तकों की रचना की।

19वीं सदी में लखनऊ के अग्रणी शायरों में से एक, प्रख्यात मसनवी गुलज़ार-ए-नसीम के रचयिता

अनुवादक, कथाकार और शायर, अपनी किताब फ़साना-ए-आज़ाद के लिए मशहूर

अपने नाटक 'इन्द्र सभा' के लिए प्रसिद्ध, अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के समकालीन

राष्ट्रीय एकता, धार्मिक एकता और जज़्बा-ए-आज़ादी को समर्पित शायरी के लिए मशहूर , स्वतंत्रता सेनानी

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज थे। लोक सभा के सदस्य भी रहे

प्रसिद्ध कथाकार, शायर और आलोचक; लखनऊ की सभ्यता और सांस्कृतिक परिदृश्य पर उपन्यास लिखे

प्रख्यात साहित्यकार, आलोचक, शोधकर्ता और शायर, पूर्व प्रोफेसर, अध्यक्ष, रजिस्ट्रार कराची यूनिवर्सिटी

नात, ग़ज़ल और भजन के ख़ास रंगों के मशहूर शायर । उनकी मशहूर ग़ज़ल ' ए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूँ ' को कई गायकों ने आवाज़ दी है

मेडिकल डॉक्टर / लंदन में प्रवास

लखनऊ और रामपूर स्कूल के मिले-जुले रंग में शायरी के लिए माशूहर उत्तर- क्लासिकी शायर

उरूज़ के विख्यात विशेषज्ञ और स्कॉलर।

लोकप्रिय शायर, लखनवी भाषा-संस्कृति के नुमाइंदे।

महान उर्दू शायर मीर तक़ी मीर के बेटे

लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर

लखनऊ स्कूल के प्रमुख क्लासिकी शायर / अवध के आख़री नवाब, वाजिद अली शाह के उस्ताद

रामायण, भगवत गीता, और दूसरे बहुत से मज़हबी व ग़ैर मज़हबी पाठों का छन्दोबद्ध व गयात्मक अनुवाद करने के लिए प्रसिद्ध

शायर, ख़दंग-ए-नज़र, ज़माना कानपुर और अदीब जैसी पत्रिकाओं के संपादक

प्रसिद्ध फ़िल्म संगीतकार और दादा साहब फाल्के एवार्ड से सम्मानित। शायरी का संग्रह ' आठवाँ सुर ' के नाम से प्रकाशित

उन्नीसवीं सदी के प्रमुख कथाकार/अपनी रचना ‘फ़साना-ए-अजाएब’ के लिए प्रसिद्ध

क्लासिकी के आख़िरी प्रमुख शायरों में अहम नाम। व्यापक लोकप्रियता प्राप्त की

ग़ैर पारम्परिक शायरी के लिए प्रसिद्ध

अवध के आखि़री नवाब/भारतीय संगीत, नृत्य, नाटक के संरक्षक

उर्दू और फ़ारसी के शायर, हास्य-व्यंग्य एवं विशिष्ट शैली में अपना कलाम सुनाने के लिए प्रसिद्ध

प्रख्यात पूर्व-आधुनिक शायर, जिगर मुरादाबादी के समकालीन।

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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