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जौनपुर के शायर और अदीब

कुल: 33

अपनी ग़ज़ल "दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है" , के लिए प्रसिद्ध

अपने शेर 'बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है' के लिए मशहूर।

प्रमुख प्रगतिशील शायर, अपनी नज़्म ‘भूखा बंगाल’ के लिए मशहूर

नई पीढ़ी के शायरों में शामिल

ना’त, मन्क़बत, सलाम, मर्सिये और क़सीदे जैसी विधाओं में शायरी की

ज़िंदगी की तल्ख़ सच्चाईयों को नज़्म करनेवाला शायर, ‘लहू लहू’, ‘पत्थरों का शहर’ के नाम से काव्य संग्रह प्रकाशित हुए

प्रसिद्ध हास्य-व्यंगकार, उर्दू में अपनी विचित्र गद्य-शैली के लिए लोकप्रिय, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग से सम्बद्ध रहे.

समाज की संवेदनशील समस्याओं को अपनी कहानियों का विषय बनाने वाले महत्वपूर्ण रचनाकार. बच्चों के लिए भी दिलचस्प कहानियां लिखीं

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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