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लखनऊ के शायर और अदीब

कुल: 97

लखनऊ के प्रसिद्ध शायर, मिर्ज़ा दबीर के सुपुत्र, काव्य विद्या पर अपनी किताब ‘मिक़यासुल अशआर’ के लिए भी प्रसिद्ध

अग्रणी एवं प्रख्यात प्रगतिशील शायर, रोमांटिक और क्रांतिकारी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध, ऑल इंडिया रेडियो की पत्रिका “आवाज” के पहले संपादक, मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर के मामा

अवध के नवाब

लखनऊ स्कूल के आख़िरी ज़माने के शायरों में प्रमुख, विशिष्ट लखनवी शैली के लिए मशहूर, अडिशनल कमिश्नर, शिक्षा मंत्री, गृह मंत्री और कश्मीरी सरकार में कार्यकारी प्रधानमंत्री

शायर और मुशायरों के संचालक, ‘गीता’ और ‘गीतांजलि’ का उर्दू में पद्यात्मक अनुवाद भी किया

विख्यात संस्कृत विद्वान, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।

अपने नाटक 'इन्द्र सभा' के लिए प्रसिद्ध, अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के समकालीन

प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं

प्रसिद्ध अफ़्साना निगार, नाटककार और आलोचक। अपनी कहानी ‘मेला घुमनी’ के लिए मशहूर

क्लासिकी परम्परा के शायर, अपनी शायरी में तसव्वुफ़ के विषयों को भी बहुत ख़ूबसूरती के साथ बरता है

सामाजिक-राजनीतिक आलोचना के प्रखर कवि-ग़ज़लकार।

मुमताज़ सहाफ़ी और अफ़्साना निगार ,अपनी आत्मकथा ‘जो याद रहा’ के लिए मशहूर.

बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विद्वान,लेखक, अनुवादक,उपन्यासकार, नाटककार. लखनऊ की सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन के मर्मज्ञ.

लखनऊ के लोकप्रिय शायर और विद्वान, दाग़ और नातिक़ गुलावठी के शागिर्द. ग़ालिब और हाफ़िज़ के कलम की व्याख्यान की और अनुवाद किया. इसके अलावा उर्दू की क़दीम शायरात (प्राचीन कवयित्रियों) का तज़्किरा भी सम्पादित किया

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