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प्यार करते रहो

अदील ज़ैदी

प्यार करते रहो

अदील ज़ैदी

MORE BYअदील ज़ैदी

    सब कि सुनते रहो

    प्यार करते रहो

    और कुछ कहो

    चाहे बोलें वो

    लब को खोलें वो

    दिल अलग बात है

    अपने लहजा में भी

    प्यार घोलें वो

    अपना जो फ़र्ज़ है

    इस तरह हो अदा

    जैसे एक क़र्ज़ है

    कोई जो कुछ कहे

    उस कि सुनते रहो

    प्यार करते रहो

    ओर कुच कहो

    बे-ख़याली में ही

    लब अगर खुल जाएँ

    और ज़बाँ पर कभी

    कोई सच गया

    यूँ समझ लूँ कि फिर

    सिलसिले जितने थे

    दरमियाँ जो भी था

    ख़्वाब देखे थे जो

    सब बिखेर जाएँगे

    ऐसा करना नहीं

    सब की सुनना मगर

    तुम बिखरना नहीं

    मसले सब के सब

    हैं सफ़ेद-ओ-सियाह

    मसअलों मैं कभी

    रंग भरना नहीं

    दिल में गर प्यार हो

    लब पे इक़रार हो

    प्यार ही प्यार बस

    हर्फ़-ए-इज़हार हो

    गर अना ये कहे

    दिल मिल पाएँगे

    इस पे मत जाइए

    खोटी हे ये अना

    इस से कुछ बना

    दिल की बातें सुनो

    फ़ासले से सहीह

    प्यार करते रहो

    और कुछ कहो

    रस्ता एक है

    मुद्दआ' एक है

    इक हमारी है क्या

    सारी दुनिया का ही

    सिलसिला एक है

    एक आए थे हम

    एक आए थे तुम

    एक है ये सफ़र

    भीड़ कितनी भी हो

    अपनी अपनी जगह

    हर कोई एक है

    नाम हैं गो जुदा

    पर ख़ुदा एक है

    बस ख़ुदा की तरह

    सब की सुनते रहो

    प्यार करते रहो

    और कुछ कहो

    कहने सुनने से तो

    कुछ बदलता नहीं

    रात जाती नहीं

    दिन ठहरता नहीं

    होने वाला है क्या

    कुछ भी खुलता नहीं

    वक़्त कम है बहुत

    इतने कम वक़्त में

    जिस क़दर कर सको

    प्यार करते रहो

    और कुछ कहो

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    सुधीर नारायण

    सुधीर नारायण

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