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दशहरा पर शेर

दशहरे का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न है। इस त्योहार का जश्न चुनिंदा उर्दू शायरी के साथ मनाइए।

जो सुनते हैं कि तिरे शहर में दसहरा है

हम अपने घर में दिवाली सजाने लगते हैं

जमुना प्रसाद राही

है दसहरे में भी यूँ गर फ़रहत-ओ-ज़ीनत 'नज़ीर'

पर दिवाली भी अजब पाकीज़ा-तर त्यौहार है

नज़ीर अकबराबादी

अब नाम नहीं काम का क़ाएल है ज़माना

अब नाम किसी शख़्स का रावन मिलेगा

अनवर जलालपुरी

'नज़्र' फिर आया है इक रस्म निभाने का दिन

सज सँवर के सभी रावन को जलाने निकले

नज़्र फ़ातमी

क़दम क़दम हैं रावन लेकिन

निर्बल के बस राम बहुत हैं

सब बिलग्रामी

अच्छों से पता चलता है इंसाँ को बुरों का

रावन का पता चल सका राम से पहले

रिज़वान बनारसी

अब भी खड़ी है सोच में डूबी उजयालों का दान लिए

आज भी रेखा पार है रावण सीता को समझाए कौन

अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा

ये मंज़िल-ए-हक़ के दीवानो कुछ सोच करो कुछ कर गुज़रो

क्या जाने कब क्या कर गुज़रे ये वक़्त का रावन क्या कहिए

पंडित विद्या रतन आसी

दर्द घनेरा हिज्र का सहरा घोर अंधेरा और यादें

राम निकाल ये सारे रावन मेरी राम कहानी से

सय्यद सरोश आसिफ़

जिस पाप की दुनिया में है रावन का बसेरा

उस स्वर्ग सी धरती पे कोई राम नहीं है

गौहर शेख़ पूर्वी

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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