Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Allama Iqbal's Photo'

अल्लामा इक़बाल

1877 - 1938 | लाहौर, पाकिस्तान

महान उर्दू शायर, पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीतों की रचना की

महान उर्दू शायर, पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' और 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीतों की रचना की

अल्लामा इक़बाल

ग़ज़ल 116

नज़्म 433

अशआर 134

कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई है

बात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है

  • शेयर कीजिए

तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया

मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़

यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए

मिलेगा मंज़िल-ए-मक़्सूद का उसी को सुराग़

अँधेरी शब में है चीते की आँख जिस का चराग़

  • शेयर कीजिए

हाँ दिखा दे तसव्वुर फिर वो सुब्ह शाम तू

दौड़ पीछे की तरफ़ गर्दिश-ए-अय्याम तू

  • शेयर कीजिए

उद्धरण 10

इन्सानों से मिलने वाले सदमात के इलावा इन्सान की याददाश्त आम तौर पर ख़राब होती है।

  • शेयर कीजिए

तारीख़ एक तरह की अमली अख़्लाक़ियात है। दूसरे उलूम की तरह अगर अख़्लाक़ियात एक तजुर्बाती इल्म है। तो उसे इन्सानी तजुर्बात के इन्किशाफ़ात पर मब्नी होना चाहीए। इस नुक़्ता-ए-नज़र के बर्मला इज़हार से उन लोगों के भी नाज़ुक एहसासात को यक़ीनन सदमा पहुँचेगा। जो अख़लाक़ के मुआमले में सख़्त-गीर होने के दावेदार हैं। लेकिन जिनका अवामी किरदार तारीख़ी तालीमात से मुतय्यन होता है।

  • शेयर कीजिए

हमारी रूह को उस वक़्त अपना इरफ़ान हासिल होता है, जब हम किसी मुफ़क्किर से रुशनास होते हैं। जब तक मैं गोएटे के तसव्वुरात की ला-मुतनाहियत से बे-ख़बर था। उस वक़्त तक मैं अपनी कम-माएगी पर मुत्तला ना था।

  • शेयर कीजिए

एक मुक़द्दस झूट है।

  • शेयर कीजिए

शाइरी में मंतिक़ी सच्चाई की तलाश बिल्कुल बे-कार है, बे-तख़य्युल का नसब-उल-ऐन हुस्न है, ना कि सच्चाई। इसलिए किसी फ़नकार की अज़मत को ज़ाहिर करने के लिए उसकी तख़्लीक़ात में से वो इक़्तिबासात पेश कीजिए। जो आपकी राय में साईंसी हक़ायक़ पर मुश्तमिल हों।

  • शेयर कीजिए

क़ितआ 10

रुबाई 12

क़िस्सा 13

पुस्तकें 1340

चित्र शायरी 22

वीडियो 119

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायरी वीडियो

अल्लामा इक़बाल

Mohd. Iqbal - Zubaan-e-Ishq

मुज़फ्फर अली

ऑडियो 58

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा

अपनी जौलाँ-गाह ज़ेर-ए-आसमाँ समझा था मैं

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

Recitation

संबंधित ब्लॉग

 

"लाहौर" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए