Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Akhilesh Tiwari's Photo'

अखिलेश तिवारी

1966 | जयपुर, भारत

अखिलेश तिवारी के शेर

458
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

सुब्ह-सवेरा दफ़्तर बीवी बच्चे महफ़िल नींदें रात

यार किसी को मुश्किल भी होती है इस आसानी पर

हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर

पढ़िए तो क्या क्या लिक्खा है दरिया की पेशानी पर

हर-दम बदन की क़ैद का रोना फ़ुज़ूल है

मौसम सदाएँ दे तो बिखर जाना चाहिए

अक़्ल वालों में है गुज़र मेरा

मेरी दीवानगी सँभाल मुझे

वह शक्ल वह शनाख़्त वह पैकर की आरज़ू

पत्थर की हो के रह गई पत्थर की आरज़ू

फिसलन ये किनारों ये ठहराव नदी का

सब साफ़ इशारे हैं कि गहराई बहुत है

ख़याल आया हमें भी ख़ुदा की रहमत का

सुनाई जब भी पड़ी है अज़ान पिंजरे में

बे-सबब कुछ भी नहीं होता है या यूँ कहिए

आग लगती है कहीं पर तो धुआँ होता है

तो क्या पलट के वही दिन फिर आने वाले हैं

कई दिनों से है दिल बे-क़रार पहले सा

क़दम बढ़ा तो लूँ आबादियों की सम्त मगर

मुझे वो ढूँढता तन्हाइयों में आया तो

यहीं से राह कोई आसमाँ को जाती थी

ख़याल आया हमें सीढ़ियाँ उतरते हुए

कोई तो बात है पिछले पहर में रातों के

ये बंद कमरा अजब रौशनी से भर जाए

जिसे परछाईं समझे थे हक़ीक़त में पैकर हो

परखना चाहिए था आप को उस शय को छू कर भी

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए