aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अख़्तर हुसैन जाफ़री

1932 - 1992

अख़्तर हुसैन जाफ़री

ग़ज़ल 4

 

नज़्म 21

अशआर 4

दिल जहाँ बात करे दिल ही जहाँ बात सुने

कार-ए-दुश्वार है उस तर्ज़ में कहना अच्छा

तपिश गुलज़ार तक पहुँची लहू दीवार तक आया

चराग़-ए-ख़ुद-कलामी का धुआँ बाज़ार तक आया

शाख़-ए-तन्हाई से फिर निकली बहार-ए-फ़स्ल-ए-ज़ात

अपनी सूरत पर हुए हम फिर बहाल उस के लिए

कोई तश्बीह का ख़ुर्शीद तलमीह का चाँद

सर-ए-क़िर्तास लगा हर्फ़-ए-बरहना अच्छा

पुस्तकें 1

 

वीडियो 4

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अख़्तर हुसैन जाफ़री

अख़्तर हुसैन जाफ़री

इक हर्फ़-ए-फ़सुर्दा दाग़ में है

इक हर्फ़-ए-फ़सुर्दा दाग़ में है अख़्तर हुसैन जाफ़री

एज़रा-पउंड की मौत पर

तुझ को किस फूल का कफ़न हम दें अख़्तर हुसैन जाफ़री

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