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ग़ज़ल 5
नज़्म 8
शेर 7
ज़रा पर्दा हटा दो सामने से बिजलियाँ चमकें
मिरा दिल जल्वा-गाह-ए-तूर बन जाए तो अच्छा हो
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टैग : नक़ाब