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अल्लामा इक़बाल

1877 - 1938 | लाहौर, पाकिस्तान

महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीत की रचना की

महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीत की रचना की

अल्लामा इक़बाल की चित्र शायरी

नहीं तेरा नशेमन क़स्र-ए-सुल्तानी के गुम्बद पर

वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग

नानक

एक आरज़ू

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

तुझे याद क्या नहीं है मिरे दिल का वो ज़माना

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

ज़लाम-ए-बहर में खो कर सँभल जा

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है

हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है

हुए मदफ़ून-ए-दरिया ज़ेर-ए-दरिया तैरने वाले

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है

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