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Bano Qudsiya's Photo'

बानो कुदसिया

1928 - 2017 | लाहौर, पाकिस्तान

पाकिस्तान की मशहूर कहानीकार, उपन्यासकार और नाटककार, उपन्यास ‘राजा गिद्ध’ के लिए ख्याति प्राप्त।

पाकिस्तान की मशहूर कहानीकार, उपन्यासकार और नाटककार, उपन्यास ‘राजा गिद्ध’ के लिए ख्याति प्राप्त।

बानो कुदसिया की कहानियाँ

ये रिश्ता-ओ-पैवंद

"मुहब्बत की एक दिलचस्प कहानी। विद्यार्थी जीवन में सज्जाद को सरताज से मुहब्बत हो जाती है लेकिन कम-हिम्मती और ख़ौफ़ के कारण वह प्रत्यक्ष रूप से अपनी मोहब्बत का इज़हार नहीं कर पाता और सरताज को बहन बना लेता है। उसी बहन-भाई के रिश्ते ने वो पेचीदगी पैदा की कि सरताज की शादी सज्जाद के कज़न फ़ोवाद से हो गई, लेकिन दोनों की ज़बान पर एक हर्फ़ न आ सका। शादी के कुछ दिन बाद ही फ़ोवाद का देहांत हो जाता है, फिर भी सज्जाद बहन-भाई के रिश्ते को नहीं तोड़ता। काफी समय यूँ ही गुज़र जाता है और फिर एक दिन सज्जाद सरताज के घर स्थायी रूप से रहने के लिए आ जाता है। सरताज कहती भी है कि भाई जान लोग क्या कहेंगे तो सज्जाद जवाब देता है कि मैंने तुम्हें पहले दिन ही कह दिया था कि हम बात निभाने वाले हैं, जब एक-बार बहन कह दिया तो सारी उम्र तुम्हें बहन ही समझेंगे।"

अंतर होत उदासी

"अंतर होत उदासी एक ऐसी ग़रीब लड़की की कहानी है जो जवान होते ही संदेह के घेरे में आ जाती है, कभी उसकी माँ संदेह करती है, कभी सास और कभी उसका बेटा। वो सारी ज़िंदगी सफ़ाईयाँ देते-देते निढाल हो जाती है। उस लड़की पर पहले उसकी माँ बदचलनी का इल्ज़ाम लगाती है, फिर जब उसकी शादी एक मानसिक रूप से बीमार परन्तु अमीर व्यक्ति से कर दी जाती है और वारिस की चाहत में उसका सुसर उससे सम्बंध बना लेता है तो सास उसे घर से बाहर निकाल देती है। उसकी कोख में पलने वाला बच्चा जब बड़ा होता है तो वो भी अपनी माँ को शक की सूली पर लटकाता है तो माँ निढाल हो जाती है और कहती है कि मेरा कभी किसी से नाता नहीं रहा बेटा, मैं इस क़ाबिल नहीं थी कि कोई मुझसे रिश्ता जोड़ता।"

बहुवा

नारी की पीड़ा, पुरुष की हिंसा व अत्याचार और औरत को उसके न किए गए पाप की सज़ा देने वाले समाज की दर्दनाक कहानी। मेहरदीन और बहुवा निम्न श्रेणी से हैं। बहुवा सुंदर भी है लेकिन मेहरदीन उसे सिर्फ इसलिए घर से निकाल देता है कि शादी के तीन साल गुज़रने के बाद भी वो माँ नहीं बन सकी थी। उसके विपरीत भैया समृद्ध और शिक्षित हैं। उनकी शादी एक ऐसी लड़की से हो जाती है जो ख़ूबसूरत नहीं है। थोड़े दिनों में ही वो गर्भवती हो जाती है, भैया को यह बहुत बुरा लगता है और उसे मायके भेज देते हैं। मायके भेजने का आधार यह प्रस्तुत करते हैं कि मेहरदीन जब बहुवा जैसी ख़ूबसूरत औरत को निकाल सकता है तो क्या मैं पागल हो गया हूँ कि इसके साथ गुज़ारा करता रहता। पहले एक की चाकरी ही क्या कम थी कि अब उसके बच्चों को भी पालता फिरूँ।

हज़ार पाया

"मियाँ-बीवी के रिश्तों में लापरवाई और अनदेखी के नतीजे में पैदा होने वाली स्थिति का चित्रण इस कहानी में किया गया है। तहमीना के दूल्हा भाई बहुत सुंदर और एयरफ़ोर्स में मुलाज़िम हैं। शादी से पहले और शादी के बाद भी बाजी, यूसुफ़ भाई की ओर से बेपरवाह और लाताल्लुक़ सी रहती हैं। यहाँ तक कि नहाते वक़्त उनको तौलिया उठा कर देने की भी ज़हमत गवारा नहीं करतीं। यूसुफ़ को अंदर ही अंदर ये ग़म खाए जाता है और एक-आध बार वो इशारों में इसका इज़हार भी करते हैं। एक बार यूसुफ़ भाई के सर में शदीद दर्द होता है और तहमीना उनका सर दबाते दबाते सो जाती है। बाजी ये देखती है तो अगले ही दिन अपने घर चली जाती है। उस वक़्त तहमीना को बहुत ग़ुस्सा आता है और वो बददुआ करती है कि ख़ुदा करे बाजी मर जाये और कुछ दिन बाद बाजी वाक़ई इन्फ़्लुएंज़ा से मर जाती है। तहमीना को ऐसा लगता है कि बाजी इन्फ़्लुएंज़ा से नहीं बल्कि उसकी बददुआ से मरी है।"

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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