aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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दुष्यंत कुमार

1933 - 1975 | मुरादाबाद, भारत

बीसवीं सदी के नामचीन हिंदी शायर और कथाकार, अपनी लोकप्रिय नज़्मों के साथ हिंदी में ग़ज़ल लेखन के लिए पहचाने जाते हैं

बीसवीं सदी के नामचीन हिंदी शायर और कथाकार, अपनी लोकप्रिय नज़्मों के साथ हिंदी में ग़ज़ल लेखन के लिए पहचाने जाते हैं

दुष्यंत कुमार

ग़ज़ल 10

अशआर 22

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता

एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारो

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही

हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए

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कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिए

कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए

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ज़िंदगी जब अज़ाब होती है

आशिक़ी कामयाब होती है

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तुम्हारे पावँ के नीचे कोई ज़मीन नहीं

कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं

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हिंदी ग़ज़ल 26

पुस्तकें 1

 

चित्र शायरी 7

 

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