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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Inaam azmi's Photo'

इनआम आज़मी

1997 | क़तर

इनआम आज़मी के शेर

मुझे पता है मोहब्बत में क्या गुज़रती है

सो तुझ से इश्क़ नहीं तुझ से दोस्ती करूँगा

उस ने इस तरह से बदला है रवय्या अपना

पूछना पड़ता है हर वक़्त तुम्हीं हो ना दोस्त

अँधेरे इस लिए रहते हैं साथ साथ मिरे

ये जानते हैं मैं इक रोज़ रौशनी करूँगा

लोग जैसे भी हों पैरों के तले रखते हैं

इतना आसाँ नहीं होता है ज़मीन होना दोस्त

अब उस से कहना कि अगले हिस्से में आने वाला है मोड़ ऐसा

जहाँ किसी का मैं हल बनूँगा कोई मिरा मसअला बनेगा

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