Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Jyoti Azad Khatri's Photo'

ज्योती आज़ाद खतरी

ग्वालियर, भारत

ज्योती आज़ाद खतरी के शेर

358
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

उस से बातें तो बहुत करनी थीं पर सोच लिया

उस की हर बात पे कहना है कोई बात नहीं

मैं सामने हूँ अभी गुफ़्तुगू करो मुझ से

कि बाद में मिरी तस्वीर देखते रहना

उसी के चेहरे पे आँखें हमारी रह जाएँ

किसी को इतना भी क्या देखना ज़रूरी है

मैं अपनी आँखों से दुनिया को जीत लाऊँगी

तू मेरे पाँव की ज़ंजीर देखते रहना

दस्तूर ही अलग है तिरी बज़्म-ए-नाज़ का

इल्ज़ाम दे के कह दिया इल्ज़ाम ही तो है

तमाम रात मैं ख़ुद से सवाल करती रही

जिसे छुआ हो हक़ीक़त में ख़्वाब कैसे हुआ

ख़ुदा का शुक्र है इस राब्ते पर

उसे मंज़िल मुझे रस्ता बनाया

सामने आए बिना उस से मुख़ातब रहना

एक जादू है जो आता है मुझे सिर्फ़ मुझे

सच पूछो तो हम को हमारी

आँखों ने बर्बाद किया है

हम ने अश्क बहाए कब हैं

पानी को आज़ाद किया है

मौज दरिया की जिसे छूती हो

उस किनारे से किनारा कर रहे हैं

कितने चेहरे हैं मुसव्विर के तसव्वुर में निहाँ

पर वो तस्वीर बनाता है मुझे सिर्फ़ मुझे

कभी दरिया कभी सहरा बनाया

किसी के इश्क़ ने क्या क्या बनाया

जिस के चेहरे पे मैं मरती हूँ सितम तो ये है

उस की तस्वीर ही एल्बम में मिरे साथ नहीं

तुझ को देखूँ तो यही सोचती हूँ मैं अक्सर

देख हैराँ मुझे हैरान कोई और हो

मैं ने असरार अज़िय्यत में ही खुलते देखे

बात छोटी है मगर सब को बता दी जाए

मान लेती मैं कहा उस का मगर

वो गुज़ारिश कर रहा है ज़िद नहीं

ऐसा वैसा कोई समझे मुझे

'मीर' 'ग़ालिब' की शायरी हूँ मैं

अपनी पलकें झुका रही हूँ मैं

कोई आँसू बचा रही हूँ मैं

सच पूछो तो हम को हमारी

आँखों ने बर्बाद किया है

पहले उस को याद किया है

फिर आँसू ईजाद किया है

यूँही थोड़ी वो मिल गया मुझ को

मुद्दतों लापता रही हूँ मैं

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए