कँवल ज़ियाई के शेर
हमारा दौर अंधेरों का दौर है लेकिन
हमारे दौर की मुट्ठी में आफ़्ताब भी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारा ख़ून का रिश्ता है सरहदों का नहीं
हमारे ख़ून में गँगा भी चनाब भी है
चंद साँसों के लिए बिकती नहीं ख़ुद्दारी
ज़िंदगी हाथ पे रक्खी है उठा कर ले जा
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
जिस में छुपा हुआ हो वुजूद-ए-गुनाह-ओ-कुफ्र
उस मो'तबर लिबास पे तेज़ाब डाल दो
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड