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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Khwaja Razi Haidar's Photo'

ख़्वाज़ा रज़ी हैदर

1946 | कराची, पाकिस्तान

समकालीन पाकिस्तानी शायर

समकालीन पाकिस्तानी शायर

ख़्वाज़ा रज़ी हैदर के शेर

कब तक बाद-ए-सबा तुझ से तवक़्क़ो रक्खूँ

दिल तमन्ना का शजर है तो हरा हो भी चुका

नहीं एहसास तुम को राएगानी का हमारी

सुहुलत से तुम्हें शायद मयस्सर हो गए हैं

आईने में और आब-ए-रवाँ में था तिरा अक्स

शायद कि मिरा दीदा-ए-तर तेरी तरफ़ था

मैं ने पूछा कि कोई दिल-ज़दगाँ की है मिसाल

किस तवक़्क़ुफ़ से कहा उस ने कि हाँ तुम और मैं

गुज़री जो रहगुज़र में उसे दरगुज़र किया

और फिर ये तज़्किरा कभी जा कर घर किया

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