संपूर्ण
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ब्लॉग1
दोहा7
किश्वर नाहीद की बच्चों की कहानियाँ
चाँद की बेटी
एक छोटी सी बच्ची थी। उसके माँ बाप मर चुके थे। वो बेचारी घर में अकेली रह गई थी। एक अमीर आदमी के घर में उसे बहुत काम करना पड़ता था। वो पानी भर के लाती, खाना पकाती। बच्चों की देख-भाल करती और इतने कामों के बदले उसे बस दो वक़्त की रोटी मिलती। खेलना कूदना
अपनी मदद आप
एक आदमी गाड़ी में भूसा भर कर लिए जा रहा था। रास्ते में कीचड़ थी। गाड़ी कीचड़ में फंस गई। वो आदमी सर पकड़ कर बैठ गया और लगा चीख़ने, “ऐ प्यारी परियों, आओ और मेरी मदद करो। मैं अकेला हूँ, गाड़ी को कीचड़ से निकाल नहीं सकता।” ये सुनकर एक परी आई और बोली, “आओ
लड़ाई का नतीजा
दो लड़कियाँ समुंद्र के किनारे टहल रही थीं। एक लड़की चिल्लाई, “वो देखो सामने सीपी पड़ी है।” ये सुनकर दूसरी लड़की आगे बढ़ी और उसने सीपी उठा ली। पहली लड़की बोली, “तुम ये सीपी नहीं ले सकतीं। ये मैंने पहले देखी थी, इसलिए इस पर मेरा हक़ है।” “लेकिन उठाई तो
शबनम का ताज
किसी बादशाह की सिर्फ़ एक ही बेटी थी। वो बहुत ज़िद्दी थी। एक दिन सुबह को वो बाग़ में टहलने के लिए गई तो उसने फूल-पत्तियों पर शबनम के क़तरे चमकते हुए देखे। शबनम के ये क़तरे उन हीरों से ज़्यादा चमकदार और ख़ूबसूरत थे जो शहज़ादी के पास थे। शहज़ादी सीधी महल