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हमें देखो हमारे पास बैठो हम से कुछ सीखो
हमीं ने प्यार माँगा था हमीं ने दाग़ पाए हैं
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दिल में है मुलाक़ात की ख़्वाहिश की दबी आग
मेहंदी लगे हाथों को छुपा कर कहाँ रक्खूँ
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मेहंदी लगे हाथों को छुपा कर कहाँ रक्खूँ
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जवान गेहूँ के खेतों को देख कर रो दें
वो लड़कियाँ कि जिन्हें भूल बैठीं माएँ भी
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टैग : औरत
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दिल को भी ग़म का सलीक़ा न था पहले पहले
उस को भी भूलना अच्छा लगा पहले पहले
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कौन जाने कि उड़ती हुई धूप भी
किस तरफ़ कौन सी मंज़िलों में गई
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टैग : धूप
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तअल्लुक़ात के तावीज़ भी गले में नहीं
मलाल देखने आया है रास्ता कैसे
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हमें अज़ीज़ हैं इन बस्तियों की दीवारें
कि जिन के साए भी दीवार बनते जाते थे
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कुछ यूँ ही ज़र्द ज़र्द सी 'नाहीद' आज थी
कुछ ओढ़नी का रंग भी खिलता हुआ न था
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