मोमिन ख़ाँ मोमिन के शेर
कर इलाज-ए-जोश-ए-वहशत चारागर
ला दे इक जंगल मुझे बाज़ार से
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दुश्नाम-ए-यार तब्-ए-हज़ीं पर गिराँ नहीं
ऐ हम-नशीं नज़ाकत-ए-आवाज़ देखना
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किसी का हुआ आज कल था किसी का
न है तू किसी का न होगा किसी का
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इतनी कुदूरत अश्क में हैराँ हूँ क्या कहूँ
दरिया में है सराब कि दरिया सराब में
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किया तुम ने क़त्ल-ए-जहाँ इक नज़र में
किसी ने न देखा तमाशा किसी का
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शब जो मस्जिद में जा फँसे 'मोमिन'
रात काटी ख़ुदा ख़ुदा कर के
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है कुछ तो बात 'मोमिन' जो छा गई ख़मोशी
किस बुत को दे दिया दिल क्यूँ बुत से बन गए हो
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चल दिए सू-ए-हरम कू-ए-बुताँ से 'मोमिन'
जब दिया रंज बुतों ने तो ख़ुदा याद आया
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टैग : ख़ुदा
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वो आए हैं पशेमाँ लाश पर अब
तुझे ऐ ज़िंदगी लाऊँ कहाँ से
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सुन के मेरी मर्ग बोले मर गया अच्छा हुआ
क्या बुरा लगता था जिस दम सामने आ जाए था
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अब शोर है मिसाल-ए-जूदी इस ख़िराम को
यूँ कौन जानता था क़यामत के नाम को
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आप की कौन सी बढ़ी इज़्ज़त
मैं अगर बज़्म में ज़लील हुआ
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कल तुम जो बज़्म-ए-ग़ैर में आँखें चुरा गए
खोए गए हम ऐसे कि अग़्यार पा गए
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न करो अब निबाह की बातें
तुम को ऐ मेहरबान देख लिया
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हाथ टूटें मैं ने गर छेड़ी हों ज़ुल्फ़ें आप की
आप के सर की क़सम बाद-ए-सबा थी मैं न था
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टैग : ज़ुल्फ़
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डरता हूँ आसमान से बिजली न गिर पड़े
सय्याद की निगाह सू-ए-आशियाँ नहीं
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सोज़-ए-ग़म से अश्क का एक एक क़तरा जल गया
आग पानी में लगी ऐसी कि दरिया जल गया
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बे-ख़ुद थे ग़श थे महव थे दुनिया का ग़म न था
जीना विसाल में भी तो हिज्राँ से कम न था
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रह के मस्जिद में क्या ही घबराया
रात काटी ख़ुदा ख़ुदा कर के
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धो दिया अश्क-ए-नदामत ने गुनाहों को मिरे
तर हुआ दामन तो बारे पाक दामन हो गया
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गो कि हम सफ़्हा-ए-हस्ती पे थे एक हर्फ़-ए-ग़लत
लेकिन उठ्ठे भी तो इक नक़्श बिठा कर उठे
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माशूक़ से भी हम ने निभाई बराबरी
वाँ लुत्फ़ कम हुआ तो यहाँ प्यार कम हुआ
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क्या जाने क्या लिखा था उसे इज़्तिराब में
क़ासिद की लाश आई है ख़त के जवाब में
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सीना-कूबी से ज़मीं सारी हिला के उट्ठे
क्या अलम धूम से तेरे शोहदा के उट्ठे
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टैग : कर्बला
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किस पे मरते हो आप पूछते हैं
मुझ को फ़िक्र-ए-जवाब ने मारा
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हो गए नाम-ए-बुताँ सुनते ही 'मोमिन' बे-क़रार
हम न कहते थे कि हज़रत पारसा कहने को हैं
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टैग : बुत
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बहर-ए-अयादत आए वो लेकिन क़ज़ा के साथ
दम ही निकल गया मिरा आवाज़-ए-पा के साथ
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टैग : अयादत
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मोमिन मैं अपने नालों के सदक़े कि कहते हैं
उस को भी आज नींद न आई तमाम शब
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टैग : नींद
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न मानूँगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था
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उलझा है पाँव यार का ज़ुल्फ़-ए-दराज़ में
लो आप अपने दाम में सय्याद आ गया
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टैग : ज़ुल्फ़
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महशर में पास क्यूँ दम-ए-फ़रियाद आ गया
रहम उस ने कब किया था कि अब याद आ गया
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दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
देर तलक वो मुझे देखा किया
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मैं भी कुछ ख़ुश नहीं वफ़ा कर के
तुम ने अच्छा किया निबाह न की
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राज़-ए-निहाँ ज़बान-ए-अग़्यार तक न पहुँचा
क्या एक भी हमारा ख़त यार तक न पहुँचा
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उस नक़्श-ए-पा के सज्दे ने क्या क्या किया ज़लील
मैं कूचा-ए-रक़ीब में भी सर के बल गया
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टैग : रक़ीब
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'मोमिन' ख़ुदा के वास्ते ऐसा मकाँ न छोड़
दोज़ख़ में डाल ख़ुल्द को कू-ए-बुताँ न छोड़
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हँस हँस के वो मुझ से ही मिरे क़त्ल की बातें
इस तरह से करते हैं कि गोया न करेंगे
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हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
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तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता
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टैग : फ़ेमस शायरी
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चारा-ए-दिल सिवाए सब्र नहीं
सो तुम्हारे सिवा नहीं होता
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टैग : सब्र
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तुम हमारे किसी तरह न हुए
वर्ना दुनिया में क्या नहीं होता
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टैग : क़िस्मत
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हम समझते हैं आज़माने को
उज़्र कुछ चाहिए सताने को
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हो गया राज़-ए-इश्क़ बे-पर्दा
उस ने पर्दे से जो निकाला मुँह
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पैहम सुजूद पा-ए-सनम पर दम-ए-विदा
'मोमिन' ख़ुदा को भूल गए इज़्तिराब में
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मेरे तग़ईर-ए-रंग को मत देख
तुझ को अपनी नज़र न हो जाए
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उम्र तो सारी कटी इश्क़-ए-बुताँ में 'मोमिन'
आख़िरी वक़्त में क्या ख़ाक मुसलमाँ होंगे
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तू कहाँ जाएगी कुछ अपना ठिकाना कर ले
हम तो कल ख़्वाब-ए-अदम में शब-ए-हिज्राँ होंगे
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ताब-ए-नज़्ज़ारा नहीं आइना क्या देखने दूँ
और बन जाएँगे तस्वीर जो हैराँ होंगे
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टैग : तस्वीर
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नासेहा दिल में तो इतना तू समझ अपने कि हम
लाख नादाँ हुए क्या तुझ से भी नादाँ होंगे
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नावक-अंदाज़ जिधर दीदा-ए-जानाँ होंगे
नीम-बिस्मिल कई होंगे कई बे-जाँ होंगे
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