aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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नज़्मी सिकंदराबादी

दिल्ली, भारत

नज़्मी सिकंदराबादी

ग़ज़ल 8

अशआर 2

नसीब होंगी उसे कामयाबियाँ 'नजमी'

ख़ुशी के साथ जो हर इम्तिहाँ से गुज़रेगा

डरेंगे लोग वफ़ा के ख़याल से 'नज़मी'

मिरी वफ़ाओं का जिस दिन सिला मिलेगा मुझे

 

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