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नून मीम दनिश

ग़ज़ल 17

नज़्म 11

अशआर 3

गर्दिश-ए-माह-ओ-साल से आगे निकल गया हूँ मैं

जैसे बदल गए हो तुम जैसे बदल गया हूँ मैं

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दिन तो ख़ैर गुज़र जाता है

रातें पागल कर देती हैं

ये भी तो जब्र-ए-वक़्त है तू मुझे याद भी नहीं

जैसे सँभल गए हो तुम वैसे सँभल गया हूँ मैं

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हास्य वीडियो
अंधा कबाड़ी

शहर के गोशों में हैं बिखरे हुए नून मीम दनिश

इत्तिफ़ाक़ात

आज, इस साअत-ए-दुज़दीदा-ओ-नायाब में भी, नून मीम दनिश

दिल मिरे सहरा-नवर्द-ए-पीर दिल

नग़्मा-दर-जाँ रक़्स बरपा ख़ंदा-बर-लब नून मीम दनिश

हसन कूज़ा-गर (1)

जहाँ-ज़ाद नीचे गली में तिरे दर के आगे नून मीम दनिश

हसन कूज़ा-गर (3)

जहाँ-ज़ाद नून मीम दनिश

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