रिफ़ाक़त हयात की कहानियाँ
एक और मकान
नींद की चिड़िया का चुप-चाप उड़ जाना उसके लिए कम अज़ीयत-नाक न था। लेकिन ये रोज़ नहीं होता था। क्योंकि वो चिड़िया को तो किसी भी वक़्त किसी भी जगह पकड़ सकता था। मसलन बस में सफ़र करते हुए या घर में अख़बार पढ़ते हुए। बस ज़रा आँख मीचने की देर थी। लेकिन अब जिस्म के