सागर हुज़ूरपूरी
ग़ज़ल 5
अशआर 1
मैं चाहत एक ऐसे मोड़ पर लाने का क़ाइल हूँ
जहाँ पर चाहने वाला ये कहता है जुदाई दे
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere